'अगर सभी ऐसे फैसले करने लगे तो...' G7 ने भारत के गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की आलोचना की
जर्मन कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने कहा कि अगर हर कोई निर्यात रोक देगा या बाजार बंद करना शुरू कर देता है, तो इससे संकट और गहरा जाएगा
अपडेटेड May 14, 2022 पर 9:12 PM | स्रोत :Moneycontrol.com
G7 ने भारत के गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की आलोचना की
औद्योग नेतृत्व वाले सात देशों के समूह के कृषि मंत्रियों ने शनिवार को भारत के गेहूं के निर्यात (Wheat Export) पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की निंदा की है। जर्मन कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने स्टटगार्ट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अगर हर कोई निर्यात रोक देगा या बाजार बंद करना शुरू कर देता है, तो इससे संकट और गहरा जाएगा।"
भारत ने यूक्रेन युद्ध के कारण सप्लाई की कमी से प्रभावित देशों को अचानक झटका दे दिया। भारत ने शनिवार को बिना पूर्व सरकारी मंजूरी के गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी। हाल ही में गर्म तापमान के कारण पैदावर पर असर पड़ा है।
भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। आधिकारिक अधिसूचना से यह जानकारी मिली है। भारत दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गेहूं पैदा करने वाला देश है।
भारत ने बताया कि इस फैसले के पीछे गेहूं की कम पैदावार और वैश्विक कीमतें में आया तेजी से उछाल मुख्य कारण हैं। इसलिए युद्ध की वजह से वह अब अपनी "खाद्य सुरक्षा" को लेकर चिंतित था।
आदेश से पहले की डील पर कोई रोक नहीं
शुक्रवार को जारी किए गए निर्देश से पहले की सभी खैप और एक्सपोर्ट डील पर कोई रोक नहीं होगी। मगर भविष्य के सभी शिपमेंट के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है।
हालांकि, निर्यात एक शर्त पर किया जा सकता है, अगर किसी दूसरी सरकार की तरफ से किए गए अनुरोध को नई दिल्ली मंजूरी दे देती है तो। यह निर्णय तब आया जब, रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण वैश्विक कृषि बाजार गंभीर तनाव में है।
आक्रमण से पहले, यूक्रेन ने अपने बंदरगाहों के जरिए हम महीने 4.5 मिलियन टन कृषि उपज का निर्यात किया। मगर ओडेसा, कोर्नोमोर्स्क और दूसरे के पोर्ट को रूसी युद्धपोतों ने दुनिया से काट दिया है। अब सप्लाई केवल भीड़भाड़ वाले जमीनी रूट के जरिए हो सकती है, जो बहुत मुश्किल है।
इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, G7 औद्योगिक देशों के मंत्रियों ने दुनिया भर के देशों से कोई प्रतिबंध नहीं लगाने का आग्रह किया, जिससे उपज बाजारों पर और दबाव बढ़ सकता है।
कृषि मंत्री ने जून में जर्मनी में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे को उठाने की बात कही है। तब इस सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं।