मिडिल ईस्ट में अब तनाव और भी गहरा होने वाला है, क्योंकि इजरायल ईरान पर जवाबी हमले के लिए पूरी तरह तैयार है। देश की सेना ने उन टारगेट को चुन लिया, जहां वो हमले कर सकती है। पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं कि ईरान के 1 अक्टूबर के मिसाइल अटैक के जवाब में इजरायल कितनी बड़ी जवाबी कार्रवाई करेगा। ईरान ने तब इजरायल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं। इजरायल के Channel 12 न्यूज ने बताया कि इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने तैयारियों को अंतिम रूप देते हुए प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलेंट को टारगेट की एक लिस्ट सौंपी है। इस लिस्ट में उस रीजन में दूसरे देशों के सेंसिटिव कॉर्डिनेट्स भी शामिल हैं।
पब्लिक ब्रॉडकास्टर Kan ने कहा, राजनीतिक नेतृत्व ने टारगेट सेट किए थे। हालांकि, इसमें ये नहीं बताया गया कि किस अधिकारी या संस्थान ने इन टारगेट्स को सिलेक्ट किया है। रिपोर्ट में एक इजरायली सूत्र के हवाले से बताया गया, “टारगेट क्लियर हैं। अब सिर्फ सही वक्त का इंतजार है।"
इजरायल ने अमेरिका को दी हमले की जानकारी
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि इजरायल ने पहले ही ईरान पर अपनी हमले की योजना के बारे में अमेरिका को बता दिया था, लेकिन उसने अभी तक उन टारगेट के बारे में अपडेट नहीं दिया है, जहां वो हमले कर सकता है।
सूत्र ने यह भी बताया, "11वें घंटे यानि आखिरी वक्त में टारगेट बदल भी सकते हैं।" आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि इजरायल कितनी आगे तक की तैयारी कर के चल रहा है कि अगर आखिरी वक्त में कुछ गड़बड़ भी होती है, तो उसके पास हमला करने के लिए कई दूसरे टारगेट भी होंगे।
रक्षा मंत्री गैलेंट ने दावा किया कि इजरायल ईरान को "जल्द ही जवाब देगा।" उन्होंने बंधकों के परिवारों से कहा, "यह एक सटीक और घातक जवाब होगा।"
निशाने पर ईरान की मिलिट्री साइट
इससे पहले Washington Post ने बताया कि नेतन्याहू ने 8 अक्टूबर को एक फोन कॉल के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडन से कहा कि इजरायल की जवाबी कार्रवाई में नॉन-मिलिट्री साइट पर हमले नहीं किए जाएंगे। एक अधिकारी का हवाला देते हुए कहा गया कि यह हमला अमेरिकी चुनावों में राजनीतिक हस्तक्षेप से बचने के लिए किया जाएगा।
पहले ऐसा माना जाता था कि इजरायल ईरान की ऑयल इंफ्रास्ट्रक्चर या न्युक्लियर साइट्स पर हमले करने का सोच रहा है। हालांकि, दोनों ही ऑप्शन का अमेरिका ने ये कह कर विरोध किया कि इससे लड़ाई और ज्यादा बढ़ जाएगी।
हालांकि, हाल ही में वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में इजरायली सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 8 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ एक फोन कॉल के दौरान नेतन्याहू ने बताया कि इजरायल के निशाने पर ईरान के सैन्य ठिकाने होंगे।
ऑयल फैसिलिटी और न्युक्लियर साइट पर अटैक नहीं
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि इजरायल का एक्शन प्लान कुछ इस तरह से तैयार किया गया है कि उसका असर 5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर न पड़े।
ईरान की ऑयल फैसिलिटी पर किसी भी संभावित इजरायली हमले से कीमतें बढ़ सकती हैं और अगर न्युक्लियर साइट पर हमला हुआ, तो ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष को कम करने के जो बचे कुचे रास्ते हैं वो भी बंद हो जाएंगे और अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप पर भी सीधा खतरा पैदा हो सकता है।
आखिर में नेतन्याहू के दफ्तर ने एक बयान जारी कर कहा कि हम अमेरिकी सरकार के विचारों को सुन रहे हैं, लेकिन आखिरी फैसला इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों को देखते हुए ही लिया जाएगा।