Justin Trudeau: पिछले एक दशक से कनाडा की सत्ता पर राज कर रहे जस्टिन ट्रूडो फिलहाल ऐसे मोड़ पर पहुंच गए हैं, जहां वह दस साल पहले थे। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। अपनी व्यक्तिगत आलोचनाओं के बीच उन्होंने सोमवार को पीएम पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। जस्टिन ट्रूडो ने 6 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और बताया कि वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं, और अगला नेता चुने जाने तक वह कार्यवाहक पीएम बने रहेंगे। आपको जानकर कर ये हैरानी होगी ट्रूडो राजनीति के साथ-साथ बॉक्सिंग में भी काफी दिलचस्पी रही है और उनके प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने में एक बॉक्सिंग मैच का भी हाथ है। आइए जानते हैं ये किस्सा
ट्रूडो को खून में रही है राजनीति
भारत की राजनीति में आपने 'परिवारवाद' शब्द जरुर सुना होगा या नेताओं को ये कहते भी सुना होगा कि फलां नेता तो मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुआ है, इसे तो राजनीति विरासत में मिली है। विरासत वाली राजनीति का खेल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी है। बात अगर कनाडा की करें तो यहां भी जस्टिन ट्रूडो, मुंह में चांदी का चम्मच लेकर ही पैदा हुए थे। जिस्टिन ट्रूडो, कनाडा के 15वें प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो के बेटे हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ट्रूडो के नाना जिमी सिनक्लेर भी कैबिनेट मंत्री रह चुके थे। जिस्टिन ट्रूडो का जन्म साल 1971 में क्रिसमस वाले दिन यानी 25 दिसंबर को हुआ था। हांलाकि क्रिसमस के दिन पैदा हुआ ये बच्चा मां-बाप के प्यार को लेकर इतना तो भाग्यशाली नहीं रहा, ट्रूडो के 6 साल के होते ही उनके मां-बाप का तलाक हो गया। ट्रूडो की परवरिश उनके पिता ने की।
आपको ये एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं कि ट्रूडो जब 11 साल के थे तब वो अपने प्रधानमंत्री पिता पियरे ट्रूडो के साथ भारत भी आए थे। उस समय भारत में कांग्रेस की सरकार थी और प्रधामंत्री थी श्रीमति इंदिरा गांधी। पियरे ट्रूडो, 1968 से 1984 तक चार बार कनाडा के PM रहे और कनाडा में ये एक रिकॉर्ड है। बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया, इस समय ट्रूडो महज 12 साल के थे। ये कहना गलत नहीं होगा कि ट्रूडो के खून में राजनीति थी और आगे चलकर वो इसमें अव्वल भी रहे। अब बात उस बॉक्सिंग मैच की करते हैं, जो ट्रूडो के करियर मे एक अहम मोड़ साबित हुई।
कॉलेज के बाद राजनीति में एंट्री
बता दें कि ट्रूडो और उनके पिता लिबरल पार्टी से जुड़े रहे और अपनी राजनीति इसी पार्टी से की। ट्रूडो कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद राजनीति में आए और साल 2006 में कनाडा में आम चुनाव हुए। इस चुनाव में लिबरल पार्टी का हाल काफी खराब रहा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद ट्रूडो को पार्टी ने युवाओं से जुड़े मामलों की एक समिति में उन्हें अध्यक्ष बनाया गया। 2011 के आम चुनाव में लिबरल पार्टी ने बहुत बुरा प्रदर्शन किया और तीसरे नंबर पर आ गई। कनाडा में उस साल सरकार कंजरवेटिव पार्टी की बनी। लिबरल पार्टी के नेता माइकल इग्नेटियफ ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। इग्नेटियफ के चले जाने के बाद जस्टिन ट्रूडो पर दबाव बनने लगा कि वो नेतृत्व संभाले। और फिर आया वो बॉक्सिंग मैच, जिसने ट्रूडो की जिंदगी बदल दी।
वो बॉक्सिंग मैच जिसने बदल दी जस्टिन ट्रूडो की जिंदगी
बता दें कि शुरुआत में ट्रूडो को लिबरल पार्टी में कोई गंभीरता से नहीं ले रहा था और उनमें अनुभव की कमी होने की बात कह कर खूब आलोचना भी हो रही थी। ट्रूडो ने अपनी आलोचनाओं को गंभीरता से लिया और अपने प्रतिद्वंदी कंजरवेटिव पार्टी के सांसद पैट्रिक ब्राजेउ को बॉक्सिंग रिंग में आकर मुकाबला करने की चुनौती दी। पैट्रिक सेना से जुड़े थे और कराटे में ब्लैक बेल्ट थे। लोगों का लगा कि ट्रूडो आसानी से हार जाएंगे पर शायद उस दिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। साल 2012 में बॉक्सिंग का ये मैच हुआ, जिसका कवरेज भी शानदार रहा। ट्रूडो ने मुकाबले से पहले खूब प्रैक्टिस की। मार्च 2012 में ये मैच हुआ और तीसरे राउंड में जस्टिन ने मैच जीत लिया। इस मैच के जीतते ही जस्टिन ट्रूडो फोकस में आ गए। उनकी लोकप्रियता में गजब का इजाफा हुआ। अक्टूबर, 2012 को जस्टिन ने अपना कैंपेन शुरू किया और साल 2013 में जस्टिन ट्रूडो ने चुनावों में जीत हासिल की और प्रधानमंत्री बने।