पाकिस्तान (Pakistan) की एक अदालत ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले (2008 Mumbai Terror Attacks) के मास्टरमाइंड साजिद मीर (Sajid Mir) को टेरर फाइनेंसिंग से जुड़े एक मामले में 15 साल से अधिक की जेल की सजा सुनाई है। हैरानी की बात है कि पाकिस्तान ने इतने हाई-प्रोफाइल केस के बारे में चुप्पी साधे रखी और इस पूरी कार्रवाई को मीडिया की नजर से छुपाने की कोशिश की। दुनिया के लिए यह भी हैरानी की बात है कि साजिद मीर को पाकिस्तान सरकार ने पहले मृत घोषित कर दिया था। हालांकि अब इस केस के बाद यह साबित हो गया है कि पाकिस्तान सरकार ने सबकी आंखों में धूल झोंकने के लिए उस वक्त झूठ बोला था।
साजिद मीर, आतंकी संगठन लश्कर-ए तैयबा का सदस्य है और 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका को लेकर यह भारत के मोस्ट वांटेड आंतकवादियों की लिस्ट में शामिल है। अमेरिका ने भी साजिद मीर पर 50 लाख डॉलर का इनाम रखा हुआ है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है। FATF की एक टीम जल्द ही पाकिस्तान का दौरा करने वाली है और वह यह देखेगी कि पाकिस्तान ने आतंकी सगंठनों और उनकी फंडिंग रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं। ग्रे सूची में शामिल होने से पाकिस्तान को विदेशों से कर्ज लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, जिसकी अर्थव्यवस्था चरमराने के कगार पर है।
साजिद मीर को लाहौर के एक एंटी-टेरर कोर्ट ने सजा सुनाई है। आमतौर पर ऐस मामलों में दोषी सिद्ध होने के बाद पंजाब पुलिस का आतंकवाद निरोधी विभाग इसे लेकर मीडिया में जानकारी देता है। हालांकि उसने साजिद मीर की सजा को लेकर कोई सूचना नहीं दी। पाकिस्तान की मीडिया को भी सजा होने के कुछ दिनों बाद इसकी भनक लग पाई।
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पाकिस्तान के एक वकील के हवाले से बताया, "लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य साजिद मीर को इस हफ्ते की शुरुआत में टेरर-फाइनेंसिंग से जुड़े एक मामले में साढ़े 15 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। अदालत ने साजिद मजीद मीर पर चार लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया है।" वकील ने बताया कि साजिद मजीद मीर अप्रैल में अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है
पाकिस्तानी अधिकारियों ने इससे पहले दावा किया था कि साजिद मीर की मौत हो चुकी है, लेकिन भारत सहित कई पश्चिमी देशों को इस पर शक था। उन्होंने मीर की मौत का सबूत देने मांग की थी।
पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साजिद मीर को सजा सुनाने का मामला FATF के आकलन से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान इन कार्रवाइयों के जरिए FATF के ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना चाहता है।
बता दें कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हुई थी। इस हमले की योजना बनाने वाले मुख्य लोगों में साजिद मीर भी शामिल था। साजिद मीर 2005 में फर्जी नाम और पासपोर्ट का इस्तेमाल कर भारत भी आया था। अमेरिकी एजेंसी FBI के मुताबिक, साजिद मीर ने कथित तौर पर 2008 और 2009 के बीच डेनमार्क में एक अखबार और उसके कर्मचारियों के खिलाफ आतंकी हमले की भी साजिश रची थी।