पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) की कुर्सी डगमगा रही है। पाक प्रधानमंत्री की किस्मत का फैसला 3 अप्रैल को होने की उम्मीद है। संयुक्त विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली (National Assembly) में अप्रैल की 3 तारीख को मतदान होगा। इस बीच सरकार गिराने और बचाने का खेल चरम पर होगा।
पाक की अर्थव्यवस्था का क्या होगा?
इमरान खान को इस तथ्य से थोड़ी राहत मिल सकती है कि पाकिस्तान के इतिहास में किसी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए अपनी कुर्सी नहीं गंवानी पड़ी हैं। अगर इमरान खान किसी तरह अपनी कुर्सी बचा भी लेते हैं तो क्या वह पाक की इकोनॉमी को बचा पाएंगे?
बढ़ती महंगाई ने लोगों का जीना दूभर किया
इमरान खान 2018 में देश में रोजगार के मौके बढ़ाने, इकोनॉमी (Pak Economy) को मजबूत बनाने और करप्शन खत्म करने के वादों के साथ प्रधानमंत्री बनने में कामयाब हो गए थे। उन्होंने देश के गरीब लोगों की जिंदगी आसान बनाने का भी प्रामिस किया था। चार साल बाद पाकिस्तान इन वादों से बहुत दूर खड़ा दिखता है। वहां इनफ्लेशन आसमान में पहुंच गया है। यह एशिया में सबसे ज्यादा है। जरूरी चीजों के दाम बढ़ने से मध्यम वर्ग और गरीब लोगों की जिंदगी नर्क हो गई है। इससे लोगों में इमरान के खिलाफ गुस्सा लगातार बढ़ रहा है।
आसमान छू रही जरूरी चीजों की कीमतें
पाकिस्तान में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स जनवरी में 13 फीसदी पहुंच गया। यह पिछले दो साल में सबसे ज्यादा है। जरूरी चीजों की कीमतों का संकेत देने वाला सेंसेटिव प्राइस इंडेक्स बढ़कर 15 फीसदी से ऊपर निकल गया है। इमरान खान के सत्ता में आने के बाद से कुकिंग ऑयल प्राइसेज 130 फीसदी बढ़े हैं। फ्यूल की कीमत एक साल में 45 फीसदी उछली है।
सबसे निचले स्तर पर आ चुका है पाक रुपया
पाकिस्तानी रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। एक साल से कम समय में डॉलर के मुकाबले यह 12 फीसदी कमजोर हो चुका है। एक डॉलर की कीमत 181.75 पाकिस्तानी रुपये हो गगई है। पाक रुपया पहले कभी इतना कमजोर नहीं था। किसी देश की करेंसी की वैल्यू गिरने का असर सभी लोगों पर पड़ता है। गरीब लोगों पर इसकी मार ज्यादा पड़ती है। दरअसल, करेंसी कमजोर होने से आयातित चीजें महंगी हो जाती हैं। पाकिस्तान अपनी जरूरत की कई चीजें आयात करता है।
गले की फांस बन सकता है विदेशी कर्ज
IMF के मुताबिक, पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज बढ़कर 90 अरब डॉलर हो गया है। इसमें चीन से लिए कर्ज की हिस्सेदारी 20 फीसदी है। यह कर्ज पाकिस्तान की इकोनॉमी के लिए गलें की फांस बन सकता है। पाकिस्तान की जीडीपी में विदेशी कर्ज की हिस्सेदारी 6 फीसदी से ज्यादा हो गई है। इस हफ्ते पाकिस्तान को चीन को 4 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना था। लेकिन उसने चीन से इस कर्ज को चुकाने के लिए और समय मांगा है।