Russia-Ukraine War: भारत सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि रूस की सेना में भर्ती 45 भारतीय नागरिकों को छुड़ाया जा चुका है। जबकि 50 अन्य भारतियों को छुड़ाने के लिए रूसी सरकार से बातचीत जारी है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (13 सितंबर) को कहा कि 45 भारतीयों को अवैध रूप से रूसी सेना में भर्ती कराया गया था। उन्हें युद्ध के मैदान में यूक्रेनी सेना के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूर किया गया। अब उन्हें रूसी सेना से छुड़ा लिया गया है। सभी को छुट्टी दे दी गई है।
यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की मॉस्को यात्रा के बाद हुआ है। इस दौरे के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर ने पीएम मोदी को आश्वासन दिया था कि सेना उन सभी भारतीयों को रिहा करेगी जिन्हें गलत तरीके से सेना में भर्ती किया गया है। फिर बाद में उन्हें यूक्रेनी सेना के खिलाफ रूस के लिए लड़ने के लिए मजबूर किया गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अभी भी युद्ध के मैदान में 50 और भारतीय नागरिक हैं। उन्हें भी बचाने के प्रयास जारी हैं। रणधीर जायसवाल ने मीडिया को दी जानकारी में कहा कि 45 भारतीयों में से 35 को जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष मुद्दा उठाए जाने के बाद कार्य मुक्त किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले 10 भारतीय नागरिकों को रिहा किया जा चुका था। इस तरह से अब तक कुल 45 लोगों की रिहाई हो चुकी है। उनके भारत लौटने के लिए टिकट आदि की व्यवस्था रूस स्थित भारतीय राजदूतावास ने की है।
PM मोदी ने पुतिन के सामने उठाया था मुद्दा
रूसी सेना में भर्ती भारतीयों का मुद्दा भारत-रूस संबंधों में एक गतिरोध के रूप में उभरा है। पीएम मोदी ने जुलाई में मास्को में पुतिन के साथ अपनी वार्ता के दौरान रूसी सेना में कार्यरत भारतीय नागरिकों को जल्द कार्य मुक्त करने के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था।
जायसवाल ने कहा कि दो दिन पहले छह भारतीय वापस आ गए और कई अन्य जल्द ही स्वदेश लौटेंगे। प्रवक्ता ने कहा, "हमारा मानना है कि करीब 50 से अधिक भारतीय नागरिक अब भी रूसी सेना में कार्यरत हैं, जिनके लिए हम यथासंभव उन्हें कार्य मुक्त कराने का प्रयास कर रहे हैं। हमारी इस बारे में रूसी सरकार से बातचीत चल रही है।"
आकर्षक नौकरी का दिया गया था ऑफर
कई रिपोर्टों के अनुसार, रूस में बुलाने के लिए भारतीयों को स्थानीय एजेंटों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से लुभाया गया था। नई दिल्ली से तमिलनाडु तक फैले मानव तस्करी नेटवर्क ने इन पीड़ितों को आकर्षक नौकरी की पेशकश की। रूस पहुंचते ही उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और उन्हें युद्ध की ट्रेनिंग के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया।