दक्षिण अफ्रीका में एक शिक्षक ने कथित तौर पर एक हिंदू विद्यार्थी की कलाई से कलावा काट दिया। जिसके बाद समुदाय के सदस्यों ने इस 'असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना बताया है। हिंदू समुदाय इस घटना की कड़ी आलोचना की है। यह घटना पिछले हफ्ते क्वाजुलु-नताल प्रांत के ड्रेकेंसबर्ग सेकेंडरी स्कूल में हुई है। दक्षिण अफ्रीकी हिंदू महासभा (SAHMS) ने शिक्षक की तरफ हिंदू विद्यार्थी की कलाई से कथित तौर पर पवित्र कलावा काटे जाने के बाद शिक्षा अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की है। इसे शिक्षक का असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना कदम बताया है।
इधर मामला बढ़ने पर स्कूल प्रशासन बैकफट पर आ गया। स्कूल प्रशासन ने घटना की जांच का आश्वासन दिया है। स्कूल प्रशासन ने कहा कि धार्मिक सहिष्णुता की भावना का सम्मान करते हुए शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
दक्षिण अफ्रीकी हिंदू महासभा (SAHMS) ने स्कूल प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। संगठन ने कहा कि हम इस मामले की जांच कर रहे हैं। हालांकि पीड़ित पक्ष इस मामले में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। जिससे जांच में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। SAHMS के अध्यक्ष अश्विन त्रिकमजी ने स्कूल प्रशासन से चर्चा की और बताया कि स्कूल के प्रिंसिपल और गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष खुद हिंदू हैं। त्रिकमजी ने एक पुराने मामले का जिक्र भी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के सर्वोच्च न्यायालय ने एक हिंदू छात्रा के पक्ष में फैसला सुनाया था। उस छात्रा को नाक में Nose Pin पहनने से रोका गया था, लेकिन अदालत ने कहा था कि किसी भी व्यक्ति को उसकी धार्मिक या सांस्कृतिक प्रथाओं से बाहर नहीं किया जा सकता है।
कलावे का धार्मिक महत्व क्या है?
बता दें कि हिंदू धर्म में कलावे को लोग रक्षा सूत्र के रूप में बांधते हैं। धर्म में ऐसी मान्यता है कि किसी भी पूजा के बाद कलावा बांधने से ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद मिलता है। वहीं, कलावे का लाल रंग पॉजिटिव एनर्जी देता है। यही वजह है कि कलावा के रूप में बांधा जाने वाला लाल धागा शरीर और मस्तिष्क के लिए हमेशा अच्छा माना जाता है।