US vs China: चाइनीज गुड्स पर 60% टैरिफ से अमेरिका भी होगा परेशान! जेफरीज का ये है कैलकुलेशन

US vs China: जब से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट कमला हैरिस को पछाड़कर रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की है, इसकी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या ट्रंप चाइनीज गुड्स पर 60 फीसदी शुल्क लगाएंगे। इसे लेकर जेफरीज का अपना कैलकुलेशन है। जेफरीज के क्रिस वुड का कहना है कि ऐसा होता है तो अमेरिका भी परेशान हो जाएगा

अपडेटेड Nov 15, 2024 पर 11:25 AM
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जेफरीज के क्रिस वुड का कहना है कि अगर वह चीन की जगह होते तो अमेरिका में डेमोक्रेट की बजाय रिपब्लिकन ट्रंप को चुनते क्योंकि डेमोक्रेटिक सरकार में यथास्थिति बनी रहती यानी कि लगातार गिरावट।

US vs China: डोनाल्ड ट्रंप के एक बार फिर से अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि चीन की चीजों पर 60 फीसदी का टैरिफ लग सकता है। हालांकि जेफरीज के क्रिस वुड का मानना है कि ऐसा नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा होता है तो ट्रंप की सरकारी नीतियां के साथ मिलकर अमेरिका में महंगाई बढ़ाएगी। उन्होंने ये बातें सीएनबीसी-टीवी18 ग्लोबल लीडरशिप समिट में 14 नवंबर को कही। क्रिस वुड ने कहा कि ट्रंप इसे बातचीत की स्ट्रैटेजी यानी लेन-देन के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि अगर टैरिफ बढ़ता भी है तो यह 60 फीसदी होगा, इसे लेकर कह नहीं सकते क्योंकि इससे अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी।

ट्रंप टैरिफ के जरिए करेंगे सौदेबाजी?

क्रिस वुड का कहना है कि अगर वह चीन की जगह होते तो अमेरिका में डेमोक्रेट की बजाय रिपब्लिकन ट्रंप को चुनते क्योंकि डेमोक्रेटिक सरकार में यथास्थिति बनी रहती यानी कि लगातार गिरावट। उनका मानना है कि चीन के लिए फिलहाल टैरिफ मुद्दा नहीं है बल्कि वह चिप के लिए हाई टैरिफ के पक्ष में है। क्रिस के मुताबहिक चीन यथास्थिति की बजाय नए सौदे के पक्ष में है।


अमेरिकी स्टॉक मार्केट को लेकर क्या है रुझान?

अब स्टॉक मार्केट को लेकर बात करें तो क्रिस वुड का कहना है कि अमेरिकी स्टॉक मार्केट में जनवरी तक तेजी रह सकती है क्योंकि इसे कॉरपोरेट टैक्स कटौती का विस्तार हो सकता है जो अगले साल 2025 में खत्म होने वाला है। इसके अलावा उम्मीद यह भी है कि ट्रंप ग्रीन रेगुलेशंस में ढील देने का वादा पूरा करेंगे जिसने तेल और गैस ड्रिलिंग और कोल माइनिंग इंडस्ट्री को झटका दिया है। डीरेगुलेशन से कंपनियों की लागत कम होगी। अगर ट्रंप यह वादा पूरा करते हैं तो अमेरिकी शेयरों को तेजी मिलेगी। अमेरिकी टेक स्टॉक्स को लेकर उनका मानना है कि एआई पर कैपिटल एक्सपेंडिचर अगले साल 2025 में भी जारी रहेगा, लेकिन किसी भी समल इस निवेश की स्पीड को लेकर सवाल उठ सकते हैं।

क्रिस वुड की एक और बात पर करीबी से नजर रहेगी कि एलॉन मस्क की अगुवाई में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिसिएंसी-DOGE सरकारी खर्च में 2 ट्रिलियन यानी 2 लाख करोड़ डॉलर की कटौती कर पाती है या नहीं। क्रिस वुड का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो यह ट्रेजरी बॉन्ड होगा, अमेरिकी डॉलर में तेजी होगी और अमेरिका को महंगाई का झटका लगेगा, जो शुरुआत में शेयर बाजारों के लिए नकारात्मक होगा लेकिन लॉन्ग टर्म में रिजल्ट पॉजिटिव आएंगे।

भारतीय मार्केट को लेकर क्या है रुझान

भारतीय मार्केट को लेकर उन्होंने कहा कि जेफरीज भारत में अपनी निवेश रणनीति सिर्फ इसलिए नहीं बदल रही है क्योंकि ट्रम्प की राष्ट्रपति चुनाव में डीत हुई है। उनका मानना है कि ट्रम्प की जीत से भारत पर बहुत फर्क पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप सरकार के दौरान भारत में जीडीपी की रियल ग्रोथ 6-8 फीसदी रह सकती है। गिरावट के मौजूदा माहौल को उन्होंने हेल्दी बताया और कहा कि तेज गिरावट के बाद विदेशी निवेशक एक बार फिर खरीदारी करेंगे। वहीं खपत से जुड़ी चिंताएं साइक्लिकल है और इसमें कुछ चौंकाने वाला नहीं है।

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