SoftBank Group से निवेश हासिल करने वाले स्टार्टअप WeWork ने अमेरिका में बैंकरप्सी प्रोटेक्शन के लिए अप्लाई किया है। इस स्टार्टअप की सफलता और असफलता हैरान करने वाली रही है। इसने दुनियाभर में ऑफिस सेक्टर में हलचल मचाई थी। लेकिन, इसके ऑफिस शेयरिंग स्पेस की मांग घटने के बाद इसकी वित्तीय सेहत बिगड़नी शुरू हो गई। WeWork में सॉफ्टबैंक की करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी है। सॉफ्टबैंक ने वीवर्क को खराब हालात से बाहर निकालने के लिए अरबों डॉलर निवेश किया था। सॉफ्टबैंक ने यह माना है कि इस स्टार्टअप को मुश्किल से बाहर निकलने की उम्मीद नहीं दिख रही है। हालांकि. अगर यह अपने लीज रेट्स में बदलाव करती हैं तो कुछ रास्ता निकल सकता है। वीवर्क के लिए मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया था। इसके लीज रेट्स काफी महंगे थे। उधर, ज्यादातर एंप्लॉयीज ने अब ऑफिस से काम करना शुरू कर दिया है। इसलिए वीवर्क के कॉर्पोरेट क्लाइंट्स ने लीज कैंसल किए हैं।
स्टार्टअप की एसेट और लायबिलिटी 10 से 50 अरब डॉलर के बीच
2023 की दूसरी तिमाही में वीवर्क के रेवेन्यू में स्पेस लीज की 74 फीसदी हिस्सेदारी थी। बैंकरप्सी फाइलिंग में कंपनी ने अपने एसेट और लायबिलिटी 10 अरब से 50 अरब डॉलर की रेंज में बताया है। वीवर्क की लॉ फर्म Cadwalader, Wicersham & Taft LLP ने अगस्त में अपनी वेबसाइट पर लैंडलॉर्ड्स के नोट में कहा था, "वीवर्क मुश्किल लीजेज से छुटकारा पाने के लिए यूएस बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों का इस्तेमाल करेगी।" कुछ लैंडलॉर्ड्स इसके नतीजे का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।
एक समय 47 अरब डॉलर पहुंच गई थी वैल्यूएशन
WeWork की शुरुआत Adam Neumann ने की थी। यह एक समय अमेरिकी की सबसे मूल्यवान स्टार्टअप बन गया था। इसका वैल्यूएशन 47 अरब डॉलर पहुंच गई थी। इस स्टॉर्टअप में कई बड़े इनवेस्टर्स ने निवेश किए थे। इनमें SoftBank और वेंचरकैपिटस फर्म Benchmark शामिल हैं। इसमें JP Morgan Chase सहित कुछ बड़े अमेरिकी बैंकों ने भी निवेश किया था। Neumann ने प्रॉफिट की जगह ग्रोथ को ज्यादा महत्व दिया था। इसके अलावा उनका व्यवहार भी ठीक नहीं था। इसके चलते उन्हें इस कंपनी से बाहर जाना पड़ा। साथ ही 2019 में IPO की योजना भी पटरी से उतर गई।
कोविड की महामारी का स्टार्टअप के बिजनेस पर असर
सॉफ्टबैंक को वीवर्क में अपना निवेश घटाने को मजबूर होना पड़ा। उसने रियल एस्टेट के मशहूर एग्जिक्यूटिव संदीप मथरानी को इस स्टार्टअप का सीईओ नियुक्त किया। वीवर्क 590 लीज की शर्तों में बदलाव करने में सफल रही। इससे फिक्स्ड लीज पेमेंट के रूप में कंपनी करीब 12.7 अरब डॉलर की सेविंग करने में सफल रही। लेकिन, यह कोरोना की महामारी के पड़ने वाले असर से निपटने के लिए काफी नहीं था। कोविड की वजह से कंपनियों ने एंप्लॉयीज को घर से काम करने को कहा था। वीवर्क के ज्यादातर कस्टमर्स स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियां थीं। इनफ्लेशन बढ़ने और इकोनॉमिक कंडिशंस खराब होने की वजह से इन कंपनियों ने अपने खर्च में कमी करने के फैसले लिए। इससे वीवर्क की मुश्किल बढ़ गई। उधर, वीवर्क को अपने लैंडलॉर्ड्स से कॉम्पिटिशन का भी सामना करना पड़ा।