Bangladesh crisis News Updates: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के तौर पर शपथ लेने के लिए गुरुवार (8 अगस्त) को पेरिस से स्वदेश लौट आए। वह आज (8 अगस्त) ही बांग्लादेश के नए अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। यूनुस ऐसे समय में अंतरिम सरकार के प्रमुख के तौर पर शपथ लेंगे जब बांग्लादेश में छात्रों के सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण तीन दिन पहले शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़कर भारत चली आई थीं। सेना, विपक्ष और छात्र नेताओं ने 84 वर्षीय यूनुस को 'गरीबों के बैंकर' के रूप में जाने जाने पर आम सहमति बनाई, ताकि नई सरकार के पहले प्रयास का नेतृत्व किया जा सके।
84 साल की मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) को 2004 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 6 अगस्त को संसद भंग की थी और मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया था। यूनुस ओलिंपिक खेलों के लिए पेरिस में मौजूद थे। वे दुबई के रास्ते बांग्लादेश लौटे।
विश्व के नेता यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि बांग्लादेश के लिए इस संक्रमण काल में यूनुस को शीर्ष पद देने का निर्णय कारगर होगा या नहीं। शेख हसीना की सरकार के 15 साल बाद बांग्लादेश खुद को फिर से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में सैन्य शासन, हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार और अराजकता की आशंकाएं सबसे अधिक है।
शेख हसीना के शासनकाल के दौरान गबन के आरोप में उत्पीड़न का सामना करने वाले प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस का जीवन पूरी तरह से बदल गया है। हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने के बाद अब यूनुस बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हसीना के देश छोड़कर जाने की खबर फैलते ही सैकड़ों लोगों ने उनके आवास में घुसकर तोड़फोड़ और लूटपाट की। देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में पिछले 15 दिन में 300 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
बांग्लादेश की सेना ने अस्थायी रूप से देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि देश के राष्ट्रपति द्वारा मंगलवार को संसद को भंग करने के बाद अंतरिम सरकार में उसकी क्या भूमिका होगी। इस अनिश्चितता के बीच, मोहम्मद यूनुस का सामने आया जो नए सिरे से चुनावों की घोषणा होने तक बांग्लादेश की बागडोर संभाल सकते हैं।
यूनूस नोबेल पुरस्कार विजेता हैं, जिन्हें "सबसे गरीब लोगों का बैंकर" भी कहा जाता है। इसे लेकर उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ा था और एक बार हसीना ने यूनुस को "खून चूसने वाला" कहा था। यूनुस पूर्व पीएम हसीना के कटु आलोचक और विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने हसीना के इस्तीफे को देश का "दूसरा मुक्ति दिवस" बताया है। पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर यूनुस को गरीब लोगों, विशेष रूप से महिलाओं की मदद के लिए माइक्रोक्रेडिट के उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
यूनुस ने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की ताकि उन उद्यमियों को छोटे ऋण उपलब्ध कराए जा सकें जो सामान्यतः उन्हें प्राप्त करने के योग्य नहीं होते। लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में बैंक की सफलता ने अन्य देशों में भी इसी तरह के लघु वित्त पोषण के प्रयासों को बढ़ावा दिया।
यूनुस को 2008 में हसीना सरकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ा जब उनके प्रशासन ने यूनुस के खिलाफ कई जांच शुरू कीं। यूनुस ने पहले घोषणा की थी कि वह 2007 में एक राजनीतिक पार्टी बनाएंगे, हालांकि उन्होंने अपनी योजना पर अमल नहीं किया।
जांच के दौरान हसीना ने यूनुस पर ग्रामीण बैंक के प्रमुख के तौर पर गरीब ग्रामीण महिलाओं से लोन वसूलने के लिए बल और अन्य तरीकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। यूनुस ने आरोपों से इनकार किया था।
हसीना की सरकार ने 2011 में बैंक की गतिविधियों की समीक्षा शुरू की और यूनुस को सरकारी सेवानिवृत्ति नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से हटा दिया गया। 2013 में उन पर बिना सरकारी अनुमति के पैसे लेने के आरोप में मुकदमा चलाया गया, जिसमें उनका नोबेल पुरस्कार और एक किताब से रॉयल्टी भी शामिल थी।
इस साल की शुरुआत में बांग्लादेश में एक विशेष जज की अदालत ने यूनुस और 13 अन्य लोगों पर 20 लाख अमेरिकी डॉलर के गबन के मामले में आरोप तय किए थे। यूनुस ने खुद को निर्दोष बताया और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। यूनुस के समर्थकों का कहना है कि हसीना के साथ उनके खराब संबंधों के कारण उन्हें निशाना बनाया गया है।
यूनुस का जन्म 1940 में भारत के चटगांव में हुआ था, जो अब बांग्लादेश का एक प्रमुख बंदरगाह शहर है। उन्होंने अमेरिका के वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और बांग्लादेश लौटने से पहले कुछ समय तक वहां पढ़ाया था।