WTO : ई-कॉमर्स टैरिफ पर मोरेटोरियम को मिला 2 साल का विस्तार, 2024 के अंत तक विवाद निपटान सिस्टम बनाने पर जोर

ये दोनों ही फैसले भारत के पक्ष में नहीं हैं। भारत एमसी 13 द्वारा डब्ल्यूटीओ के विवाद समाधान तंत्र पर इसके समाधान पर जोर दे रहा था और डिजिटल गुड्स पर सीमा शुल्क लगाने पर लगी रोक को भी समाप्त कराना चाहता था

अपडेटेड Mar 02, 2024 पर 11:43 AM
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1998 से, डब्ल्यूटीओ के सदस्य समय-समय पर इन सीमा शुल्कों को लगाने पर रोक बढ़ाने पर सहमति देते रहे। इसके पहले अंतिम विस्तार जून 2022 में मिला था

विश्व व्यापार संगठन (WTO)का 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC13) डब्ल्यूटीओ के विवाद समाधान तंत्र पर किसी समाधान तक पहुंचने में विफल रहा और इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क नहीं लगाने के वर्तमान नियम को दो और सालों तक बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, जिसके बाद यह नियम एक्सपायर हो जाएगा। ये दोनों ही फैसले भारत के पक्ष में नहीं रहे। बता दें कि भारत MC13 द्वारा डब्ल्यूटीओ के विवाद समाधान तंत्र पर इस मुद्दे के समाधान पर जोर दे रहा था और डिजिटल गुड्स पर सीमा शुल्क लगाने पर लगी रोक को भी समाप्त कराना चाहता था।

1 मार्च 2024 के मंत्रिस्तरीय निर्णय के मसौदे पर आए एक बयान के मुताबिक "हम मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के 14वें सत्र तक इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क नहीं लगाने की मौजूदा नियम को बनाए रखने के लिए सहमत हैं। यह रोक और वर्क प्रोग्राम उस तारीख एक्सपायर हो जाएंगे।"

गौरतलब है कि भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 13वें सत्र के दौरान 28 फरवरी को मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC13) में ई-कॉमर्स पर हुए एक सत्र में विकासशील देशों और सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) पर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क लगाने पर लगी रोक के प्रभाव की फिर से जांच करने के लिए अपना अनुरोध दोहराया था। नई दिल्ली का मानना है कि किसी देश को इस तरह के शुल्क लगाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, क्योंकि इस रोक के कारण विकासशील देशों को लगभग 10 अरब डॉलर के राजस्व का नुकसान हो रहा है।


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1998 से, डब्ल्यूटीओ के सदस्य समय-समय पर इन सीमा शुल्कों को लगाने पर रोक बढ़ाने पर सहमति देते रहे। इसके पहले अंतिम विस्तार जून 2022 में मिला था। भारत का मानना है कि किसी भी देश को अपने उभरते डिजिटल उद्योग की सुरक्षा के लिए सीमा शुल्क लगाने की जरूरत है। और चूंकि डिजिटल गुड्स और डिजिटल सर्विसेज के बीच अंतर अच्छी तरह से परिभाषित नहीं है, इसलिए नई दिल्ली रोक को और आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है।

इस बीच, पूरी तरह फंक्शनल विवाद निपटान प्रणाली के लक्ष्य पर MC13 के मसौदा बयान में कहा गया है कि 2024 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिकारियों द्वारा इस मुद्दे पर सभी पक्षों के साथ पारदर्शी तरीके से चर्चा में तेजी लाई जाएगी।

अबू धाबी में WTO के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन MC13 में भारत ने डब्ल्यूटीओ की अपीलेट बॉडी (एक विवाद-निपटान इकाई) को फिर से बहाल करने की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराया। नई दिल्ली ने भी इसे तत्काल और प्रभावी रूप से फिर से बहाल करने की मांग की। बता दें कि इस अपीलेट बॉडी में नए सदस्यों की नियुक्तियों को रोकने के संयुक्त राज्य अमेरिका के फैसले ने इस इकाई के कामकाज को रोक दिया है। इससे डब्ल्यूटीओ की विश्वसनीयता और उसके द्वारा कायम नियम-आधारित व्यापार व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है।

डब्ल्यूटीओ की MC13 26 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबू धाबी में शुरू हुई और 1 मार्च को समाप्त हो गई।

 

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