यूक्रेन पर हमले के ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को खुलकर रणनीतिक समर्थन का शी जिनपिंग का कदम उनके 9 साल के शासनकाल का सबसे बड़ा जुआ है। अगर पुतिन यूक्रेन से सेना वापस बुलाने को मजबूर होते हैं या अपनी सत्ता गंवा देते हैं तो यह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा कर सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने इरादों का संकेत दिया है
एक्सपर्ट का मानना है कि तीसरी बार शी जिनपिंग को राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। लेकिन, यूक्रेन में पुतिन की नाकामी की स्थिति में सरकार में जिनपिंग की ताकत कमजोर पड़ सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जिनपिंग ने पुतिन की बर्बादी के नतीजों के बारे में सोचना शुरू कर दिया होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पोलेंड में जिस तरह से अपनी तय स्पीच से हटते हुए पुतिन को सबक सिखाने की बात कही, उससे इसकी उम्मीद और भी बढ़ जाती है। बाइडेन ने यहां तक कहा कि यह व्यक्ति (सत्ता) में बना नहीं रह सकता है।
यूक्रेन का फ्यूचर तय करेगा न्यू वर्ल्ड ऑर्डर
यूक्रेन का भविष्य न सिर्फ 4.2 करोड़ की उसकी आबादी के लिए मायने रखता है बल्कि यह नई वैश्विक व्यवस्था के लिए भी मायने रखता है। यह दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के लिए पुतिन की मनमानी के खिलाफ खुलकर आगे आने और नई रणनीतिक व्यवस्था बनाने का भी सही समय है। यूक्रेन में पुतिन की नाकामी उस मौजूदा वैश्विक व्यवस्था के लिए खतरे का संकेत होगी, जिसमे शी जिनपिंग जैसे निरंकुश नेताओं ने मजबूत स्थिति बना रखी है।
पुतिन और जिनपिंग ने संयुक्त बयान पर किए थे हस्ताक्षर
4 फरवरी को बीजिंग में विंटर ओलंपिक के ओपनिंग सेरेमनी के मौके पर पुतिन और जिनपिंग ने 5,300 शब्दों वाले बयान पर हस्ताक्षर किए। तब यूक्रेन की सीमा पर 1.5 लाख सैनिकों का जमावड़ा आकार ले रहा था। रूस और चीन के रिश्ते की कोई सीमा नहीं है। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसमें दोनों के सहयोग की गुंजाइश न हो।
चीन को बताए बगैर पुतिन ने नहीं किया होगा हमला
ऐसा सोचना बेवकूफी होगी कि पुतिन ने यूक्रेन पर हमले की योजना जिनपिंग को नहीं बताई होगी। यह सोचना ठीक नहीं होगा कि जिनपिंग ने यह नहीं समझा होगा कि दोनों नेताओं का संयुक्त बयान यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के लिए हरी झंडी से कम नहीं था। पश्चिमी देशों के नेताओं की तरफ से इसका अंदाजा लगाने में गलती हो सकती है।
पुतिन को बर्बाद होने से बचाने की हर कोशिश करेंगे जिनपिंग
जिनपिंग के लिए पुतिन के नहीं होने के मुकाबले कमजोर स्थिति के साथ उनका वजूद कहीं ज्यादा फायदेमंद होगा। इसकी वजह यह है कि जिस तरह से 2014 से जिनपिंग ने पुतिन के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया है, उसे बेकार चले जाने के बारे में चीन के राष्ट्रपति सोच भी नहीं सकते। सत्ता से पुतिन के बाहर होने की कल्पना भी जिनिपंग को डराने के लिए काफी है। इसलिए वह अंतिम वक्त तक शांति समझौते की हर कोशिश को समर्थन कर सकते हैं।