टैक्सपेयर्स के लिए फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के एडवांस टैक्स की पहली किस्त (First Instalment of advance Tax) के पेमेंट के लिए सिर्फ एक दिन बचे हैं। इसके लिए डेडलाइन 15 जून है। एडवांस टैक्स की पहली किस्त नहीं चुकाने पर टैक्सपेयर्स को सेक्शन 234B और 243C के तहत जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। इस बारे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी टैक्सपेयर्स से अपील की है। उसने कहा है कि टैक्सपेयर्स को अग्रिम कर की पहली किस्त चुकाना नहीं भूलना चाहिए। फाइनेंशियल ईयर में होने वाली कमाई पर उसी फाइनेंशियल ईयर में चुकाए जाने वाले टैक्स को एडवांस टैक्स कहते हैं।
एडवांस टैक्स का मतलब क्या है?
अगर किसी टैक्सपेयर्स की टैक्स लायबिलिटी एक फाइनेंशियल ईयर में 10,000 रुपये या ज्यादा है तो उसके लिए एडवान्स टैक्स का पेमेंट करना जरूरी है। इसमें सैलरी से इनकम के अलावा रेंट, कैपिटल गेंस, फिक्स्ड डिपॉजिट, लॉटरी विनिंग्स से होने वाली कमाई शामिल है। एडवांस टैक्स का पेमेंट एक फाइनेंशियल ईयर में चार किस्तों में होता है। कुल टैक्स लायबिलिटी के 15 फीसदी का पेमेंट पहली किस्त में करना जरूरी है। 45 फीसदी टैक्स का पेमेंट दूसरी किस्त में करना जरूरी है, जिसकी डेडलाइन 14 सितंबर होती है। इसमें जून में किया गया पेमेंट शामिल है।
आखिरी किस्त के पेमेंट की डेडलाइन
एडवांस टैक्स की तीसरी किस्त का पेमेंट 15 दिसंबर तक करना जरूरी है। इस डेडलाइन तक कुल टैक्स लायबिलिटी के 75 फीसदी का पेमेंट करना जरूरी है। 15 मार्च तक 100 फीसदी टैक्स का पेमेंट जरूरी है। यह एडवांस की चौथी किस्त होगी। इस तरह एक फाइनेंशियल ईयर के दौरान टैक्स की कुल लायबिलिटी का पेमेंट 15 मार्च तक करना टैक्सपेयर्स के लिए करना जरूरी है।
सिर्फ सैलरी से इनकम तो एडवांस टैक्स नहीं
यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि ऐसे टैक्सपेयर्स जिनकी इनकम का सोर्स सिर्फ सैलरी है, उन्हें एडवान्स टैक्स पेमेंट करने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह यह है कि उनके एंप्लॉयर (कंपनी) सैलरी से हर महीने TDS काटते हैं। फिर टीडीएस के अमाउंट का पेमेंट वे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को करते हैं। इसका मतलब है कि उनकी तरफ से एंप्लॉयर टैक्स का पेमेंट फाइनेंशियल ईयर के दौरान करता है। ई-पेमेंट ऐसी सभी कंपनियों और एसेसीज के लिए अनिवार्य है, जिनके अकाउंट्स का ऑडिट कराना सेक्शन 44AB के तहत जरूरी है। टैक्स ऑडिट का मतलब टैक्सपेयर्स के बुक ऑफ अकाउंट्स की जांच से है।
एडवांस टैक्स का पेमेंट नहीं करने पर क्या होगा
अगर कोई टैक्सपेयर एडवांस टैक्स का पेमेंट नहीं करता है या कम टैक्स चुकाता है तो बाद में उसे नहीं चुकाए गए अमाउंट पर इंटरेस्ट का पेमेंट करना होगा। सेक्शन 234C के तहत नहीं चुकए गए अमाउंट पर हर महीने 1 फीसदी इंटरेस्ट देना पड़ता है। कुल टैक्स पर 10 फीसदी तक मार्जिन की इजाजत है। इसका मतलब है कि अगर कोई टैक्सपेयर्स डेडलाइन के अंदर 90 फीसदी से कम टैक्स का पेमेंट करता है तो उसे हर महीने नहीं चुकाए गए अमाउंट पर 1 फीसदी की दर से इंटरेस्ट चुकाना होगा।