12 जून को भारत के अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास हुए एक भीषण एयरक्राफ्ट हादसे ने पूरे देश को हिला दिया। लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो कि एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर थी, उड़ान भरते ही क्रैश हो गई। इस हादसे में एयरक्राफ्ट में सवार सभी 241 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा एयरक्राफ्ट के गिरने से पास के डॉक्टर्स हॉस्टल में भी कुछ लोगों की जान चली गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद एयर इंडिया ने मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। हालांकि, यह मुआवजा सिर्फ शुरुआती सहायता है। ये इंश्योरेंस क्लेम 1000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
ऐसे मामलों में असली मुआवजा मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत तय होगा, जिसे भारत ने 2009 में स्वीकार किया था।
क्या होता है मॉन्ट्रियल कन्वेंशन?
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय नियम है, जिसके तहत एयरक्राफ्ट हादसों में मृतकों और घायलों को मुआवजा दिया जाता है। इसके तहत किसी भी यात्री की मौत या चोट के लिए एयरलाइन को 1,28,821 स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) तक का मुआवजा देना होता है। अक्टूबर 2024 के मुताबिक 1 SDR की कीमत $1.33 (लगभग 111 रुपये) थी। यानी हर यात्री के लिए करीब 1.43 करोड़ रुपये तक का मुआवजा बन सकता है। अगर एयरलाइन की लापरवाही साबित होती है तो इससे ज्यादा मुआवजा भी मिल सकता है।
कितने यात्री थे एयरक्राफ्ट में?
हादसे के समय एयरक्राफ्ट में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 169 भारतीय नागरिक, 53 ब्रिटिश नागरिक, 1 कनाडाई और 7 पुर्तगाली नागरिक शामिल थे। ये सभी लोग इस हादसे में जान गंवा बैठे।
एयरक्राफ्ट इंश्योरेंस कैसे और क्या होता है?
एयर इंडिया ने अपने पूरी एयरक्राफ्ट बेड़े का इंश्योरेंस एक वैश्विक $20 अरब के एयरक्राफ्ट इंश्योरेंस प्रोग्राम के तहत कर रखा है। इसमें दो तरह के इंश्योरेंस होते हैं।
हल इंश्योरेंस (Hull Insurance) – यह एयरक्राफ्ट को हुए नुकसान को कवर करता है।
लायबिलिटी इंश्योरेंस (Liability Insurance) – यह यात्रियों और तीसरे पक्ष को हुए नुकसान का मुआवजा देता है।
एक्सपर्ट के मुताबिक इस एयरक्राफ्ट की कीमत $211 से $280 मिलियन के बीच हो सकती है। हालांकि, 2013 मॉडल के इस एयरक्राफ्ट (VT-ABN) की इंश्योरेंस वैल्यू 2021 में $115 मिलियन थी।
एयर इंडिया का इंश्योरेंस कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर किया गया है। इंश्योरेंस की जिम्मेदारी एक ही कंपनी की नहीं होती, बल्कि 1.5% से लेकर 15% हिस्सों में कई कंपनियों में बंटी होती है। इसलिए इस बड़े हादसे का आर्थिक असर पूरी दुनिया की इंश्योरेंस कंपनियों पर पड़ेगा।
कितना हो सकता है कुल मुआवजा?
एयरक्राफ्ट के नुकसान के अलावा सबसे बड़ी लागत यात्रियों और तीसरे पक्ष के मुआवजे की होगी। कुल मुआवजा 1,000 करोड़ रुपये तक जा सकता है। यह भारतीय एयरक्राफ्ट इतिहास के सबसे महंगे हादसों में से एक बन सकता है।
हर यात्री के मामले में मुआवजा अलग-अलग हो सकता है। मृतक की उम्र, नौकरी, आमदनी, पारिवारिक स्थिति और आश्रितों की संख्या के आधार पर मुआवजे की रकम तय की जाती है। यह हादसा भारतीय विमानन के लिए न सिर्फ एक दुखद अध्याय है, बल्कि इंश्योरेंस और कानूनी जिम्मेदारियों के नजरिए से भी बहुत बड़ा मामला है। आने वाले समय में यह केस देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एयरक्राफ्ट सुरक्षा और इंश्योरेंस के दिशा-निर्देशों को और सख्त करने की ओर इशारा करता है।