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Apple, Microsoft के स्टॉक्स खरीदना चाहते हैं? जानिए क्या हैं नियम और शर्तें

आरबीआई की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम एक भारतीय को एक वित्त वर्ष में 2,50,000 डॉलर विदेश भेजने की इजाजत देती है। इस स्कीम के तहत विदेश में निवेश के लिए भी पैसा भेजा जा सकता है। अमेरिकी कंपनी के स्टॉक्स में निवेश करने के लिए विदेशी ब्रोकरेज फर्म में अकाउंट ओपन करना होगा

अपडेटेड Aug 06, 2025 पर 2:14 PM
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यह ध्यान में रखना जरूरी है कि 10 लाख रुपये से ज्यादा विदेश भेजने पर टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स (TCS) लागू होगा।

कई लोग एपल, माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया और आईबीएम जैसी अमेरिकी कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करना चाहते हैं। इससे इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन में मदद मिलती है। कई बार इंडिया में शेयरों की कीमतों में तेज गिरावट आती है, जबकि अमेरिकी बाजार में तेजी दिखती है। ऐसे में आपके इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में शामिल अमेरिकी कंपनियों के स्टॉक्स पोर्टफोलियो को कुछ हद तक सुरक्षा देते हैं।

LRS के तहत पैसे विदेश भेजने की इजाजत

आरबीआई की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत कोई भारतीय व्यक्ति विदेश पैसे भेज सकता है। वह इनवेस्टमेंट, एजुकेशन, ट्रैवल और कुछ अन्य कामों के लिए विदेश में पैसे भेज सकता है। एलआरएस में यह बताया गया है कि किस-किस काम के लिए पैसे विदेश भेजने की इजाजत है। LRS के तहत एक भारतीय एक वित्त वर्ष में 2,50,000 डॉलर (करीब 2 करोड़ रुपये) विदेश भेज सकता है।


विदेशी ब्रोकरेज फर्म के पास अकाउंट ओपन करना होगा

कोई भारतीय अमेरिकी कंपनियों के स्टॉक्स में इनवेस्ट कर सकता है। इसके लिए उसे ऐसी ब्रोकरेज फर्म में अकाउंट ओपन करना होगा, जो अमेरिका में निवेश की सुविधा देती है। आप LRS के तहत अमेरिका में इनवेस्टमेंट के लिए पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। अगर आप अपने परिवार के सदस्यों का इस्तेमाल भी अमेरिका में निवेश के लिए करना चाहते हैं तो परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए 2,50,000 डॉलर की लिमिट होगी।

10 लाख से ज्यादा भेजने पर टीसीएस लागू होगा

यह ध्यान में रखना जरूरी है कि 10 लाख रुपये से ज्यादा विदेश भेजने पर टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स (TCS) लागू होगा। इनवेस्टमेंट पर अब 20 फीसदी टीसीएस लागू है। हालांकि, आप इस पैसे के रिफंड के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के वक्त क्लेम कर सकते हैं।

कैपिटल गेंस पर इंडिया में लगेगा टैक्स

अब अमेरिकी स्टॉक्स से हुए प्रॉफिट पर टैक्स के नियम की बात करते हैं। अगर आप अमेरिकी स्टॉक्स को बेचते हैं तो उसके गेंस पर इंडिया में टैक्स देना होगा। दो साल के बाद शेयरों को बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू होते हैं। दो साल से पहले शेयरों को बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस लागू होता है।

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अमेरिकी कंपनी डिविडेंड पर टैक्स काटती हैं

इसके अलावा अमेरिकी कंपनियां विदेशी इनवेस्टर्स को दिए जाने वाले डिविडेंड पर 25 फीसदी टैक्स काटती हैं। हालांकि, अमेरिका और इंडिया के बीच डबल टैक्सेशन एवॉयडेंस एग्रीमेंट (DTAA) है। इसके तहत अमेरिका में काटे गए टैक्स पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है।

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