एयरलाइंस कंपनियों के लिए जल्द अच्छी खबर आ सकती है। एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत आ सकता है। जीएसटी काउंसिल की 55वीं मीटिंग में इस मसले पर चर्चा होगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक के एजेंडा की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि काउंसिल की अगली बैठक में इस मसले पर बातचीत होगी। यह बैठक 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में होने वाली है।
अभी ATF पर 11 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगती है, हालांकि रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (आरसीएस) के तहत 2 फीसदी का रियायती रेट लागू होता है। उसके बाद एटीएफ पर वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) लागू होता है। अलग-अलग राज्य में वैट के रेट्स अलग-अलग हैं। एटीएफ के जीएसटी के तहत आ जाने से एयरलाइंस कंपनियों के ऑपरेशनल कॉस्ट में कमी आने का अनुमान है।
कई प्रोडक्ट्स को बाद में जीएसटी लाने का था प्रस्ताव
जीएसटी की व्यवस्था 1 जुलाई, 2027 से लागू हुई थी। तब एटीएफ, पेट्रोल-डीजल सहित कई प्रोडक्ट्स को बाद में जीएसटी के दायरे में लाने की बात कही गई थी। संविधान के आर्टिकल 279ए में इस बारे में बताया गया था। इसमें कहा गया कि जीएसटी काउंसिल उस तारीख के बारे में बताएगी, जिस तारीख से पेट्रोलियम क्रूड, हाई-स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट, नेचुरल गैस और एटीएफ जीएसटी के दायरे में आ जाएंगे। यह तय हुआ था कि जब तक जीएसटी काउंसिल चाहेगी ये प्रोडक्ट्स जीरो-रेट के तहत आएंगे।
अभी एटीएफ पर एक से ज्यादा बार लगता है टैक्स
एक सूत्र ने बताया, "एजेंड में यह कहा गया है कि चूंकि एटीएफ केरोसीन ऑयल का एक वैरिएंट है और एटीएफ के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर इनपुट्स जीएसटी के तहत आते हैं, जिससे एटीएफ को डेडिकेटेड एंट्री और रेट के साथ जीएसटी के तहत लाने पर विचार किया जाना चाहिए।" सूत्र ने कहा कि एजेंडा में यह भी कहा गया है कि एटीएफ की वैल्यू पर VAT लागू होता है, जिसमें इस पर चुकाई जाने वाली एक्साइज ड्यूटी शामिल होती है। इससे इस पर एक से ज्यादा बार टैक्स लगता है।
एटीएफ जीएसटी के तहत आने से हवाई यात्रा सस्ती हो सकती है
एटीएफ की ज्यादा कीमत की वजह से हवाई जहाज से यात्रा करना महंगा हो जाता है। इसकी वजह यह है कि एयरलाइंस के कुल खर्च में एटीएफ की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा है। अगर एटीएफ को जीएसटी के तहत लाया जाता है तो इससे इस पर एक से ज्यादा बार टैक्स नहीं लगेगा। इससे टिकट के प्राइस में कमी आ सकती है। रिफाइनरीज की कॉस्ट में भी कमी आ सकती है।
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राज्यों के रुख पर निर्भर करेगा फैसला
सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्यों का रुख इस मसले पर क्या रहता है। एटीएफ पर वैट के जरिए राज्यों को काफी ज्यादा रेवेन्यू हासिल होता है। इसलिए ऐसे राज्य इस प्रस्ताव का विरोध कर सकते हैं, जो रेवेन्यू पर ज्यादा दबाव का सामना कर रहे हैं।