इस हफ्ते की शुरुआत में बॉलीवुड एक्टर सनी देओल का मुंबई का एक बंगला बहुत चर्चा में था। बैंक ऑफ बड़ौदा ने इसकी नीलामी करने का ऐलान किया था। बैंक ने कहा था कि देओल पर उसका 56 करोड़ रुपये बकाया है। इसकी वसूली के लिए वह बंगले की नीलामी करेगा। देओल ने बैंक से लोन लेने के लिए इस प्रॉप्रटी को बैंक के पास गिरवी रखा था। बाद में बैंक ने नीलामी का फैसला वापस ले लिया था। उसने कहा था कि देओल ने बैंक को पैसे चुकाने का आश्वासन दिया है।
SARFAESI Act 2002 में पारित हुआ था। यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को उस स्थिति में लोन लेने वाली संपत्ति बेचकर अपना पैसा वसूल करने का अधिकार देता है, जब लोन लेने वाला बैंक का पैसा चुकाने में नाकाम रहता है। इसके लिए उसे कोर्ट की मंजूरी नहीं लेनी पड़ती है। हालांकि, इस एक्ट में यह बताया गया है कि ऐसा करने के लिए बैंक को किस तरह की प्रक्रिया का पालन करना होगा। इस एक्ट को लेकर किसी तरह का विवाद पैदा होने पर उसकी सुनवाई डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल (DRT) में होती है। देश में 39 DRT हैं और पांच डेट रिकवरी एपेलेट ट्राइब्यूनल (DRATs) हैं।
नीलामी की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब ग्राहक EMI चुकाना बंद कर देता है। अगर ईएमआई 30 दिन से ज्यादा समय तक नहीं चुकाई जाती है तो इसे 'स्पेशल मेंशन अकाउंट' (SMA) 1 कहा जाता है। अगर 60 दिन से ज्यादा समय तक पेमेंट नहीं होता है तो इसे SMA 2 कहा जाता है। 90 दिन से ज्यादा समय तक पेमेंट नहीं होने पर अकाउंट को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) मान लिया जाता है। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि जब बैंक किसी अकाउंट को एसएमए या एनपीए में डालता है तो इसकी जानकारी Experian, CRIF और CIBIL जैसी क्रेडिट ब्यूरो कंपनियों को भेज दी जाती है। इससे ग्राहक और लोन के गांरटर के क्रेडिट स्कोर पर खराब असर पड़ सकता है।
अगर ग्राहक किसी ऐसे वजह से ईएमआई नहीं चुका पा रहा है, जिस पर उसका नियंत्रण नहीं हो तो बैंक उसे लोन चुकाने के लिए अतिरिक्त समय दे सकता है। लेकिन, लीगल नोटिस के बाद भी ग्राहक के बैंक का पैसा नहीं चुकाने पर बैंक लोन के लिए गिरवी रखी गई संपत्ति अपने कब्जे में ले सकता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत SARFAESI Act के सेक्शन 13(2) के तहत की जाती है। उसके बाद सेक्शन 13(4) के तहत कोर्ट के जरिए संपत्ति कब्जे में ले ली जाती है।