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Startup India scheme: कैसे बनाएं अपना स्टार्टअप भारत सरकार की योजना के साथ? जानिए पात्रता, फायदे और फंडिंग

Startup India scheme: स्टार्टअप इंडिया योजना भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य नए व्यवसायों को वित्तीय, तकनीकी और प्रशासनिक मदद देकर उन्हें बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत स्टार्टअप्स को तीन साल की आयकर में छूट, आसान नियम और फंडिंग के अवसर मिलते हैं, जिससे नवोदित उद्यमियों को विकास और रोजगार सृजन में मदद मिलती है।

अपडेटेड Oct 05, 2025 पर 10:55 PM
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भारत सरकार की प्रमुख पहल, स्टार्टअप इंडिया योजना, 2016 में देशभर में उद्यमिता को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य है भारत को एक वैश्विक स्टार्टअप हब बनाना, नए व्यवसायों को विकसित करना, रोजगार उत्पन्न करना और एक स्थायी व्यवसाय पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना। सरकार स्टार्टअप्स को टैक्स में छूट, सब्सिडी, नियमों में आसानियां और वित्त उपलब्धता जैसी सुविधाएं प्रदान करती है, जिससे नवोदित व्यवसायों को सहूलियत होती है।

स्टार्टअप इंडिया योजना का लाभ उठाने के लिए कंपनियों को कुछ पात्रता मानदंडों को पूरा करना होता है। कंपनी का पंजीकृत होना जरूरी है, चाहे वह लिमिटेड कंपनी, पार्टनरशिप फर्म या लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप हो। कंपनी की स्थापना 10 साल से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए और पिछले वित्तीय वर्षों में इसका टर्नओवर ₹100 करोड़ से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, स्टार्टअप का मुख्य फोकस नवाचार, उत्पाद या सेवा विकास, या व्यवसाय के विस्तार पर होना चाहिए। ध्यान देने वाली बात यह है कि योजना के अंतर्गत वे कंपनियां पात्र हैं जो किसी मौजूदा उद्यम के पुनर्गठन या विभाजन से बनी न हों।

वित्तपोषण के मामले में, सरकार ने ₹10,000 करोड़ के कोष के तहत फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्टअप्स (FFS) बनाया है। यह फंड सीधे स्टार्टअप में निवेश नहीं करता, बल्कि SEBI-रजिस्टर्ड वेंचर कैपिटल फंड्स के माध्यम से वित्त उपलब्ध कराता है। इस फंड से स्टार्टअप्स को इक्विटी फंडिंग के साथ-साथ लोन और क्रेडिट गारंटी भी मिलती है। व्यवसाय के चरण, क्षेत्र और क्षमता के आधार पर वित्तपोषण प्रदान किया जाता है, जो शुरुआती उद्यमियों के लिए पारंपरिक बैंक फंडिंग के मुकाबले अधिक सुविधाजनक होता है।


स्टार्टअप इंडिया योजना के तहत कई लाभ मिलते हैं, जैसे आयकर में तीन वर्ष की छूट, विशेष परिस्थितियों में कैपिटल गेन टैक्स से छूट, पेटेंट आवेदन शुल्क में छूट और त्वरित बन्द करने की प्रक्रिया। इसके अलावा, लेबर और पर्यावरण कानूनों के तहत सेल्फ-सर्टिफिकेशन की सुविधा से नियमों का पालन आसान हो जाता है। योजना में नेटवर्किंग, मेंटरिंग, उद्योग विशेषज्ञों और निवेशकों से जुड़ने के अवसर भी प्रदान किए जाते हैं, जो नवोदित व्यवसायों को सफलता की राह पर आगे बढ़ाते हैं।

इस योजना के माध्यम से भारत सरकार ने देश के युवा उद्यमियों को न केवल वित्तीय मदद दी है, बल्कि उन्हें व्यवसाय के हर पहलू में समर्थन देकर उनकी सफलता सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। स्टार्टअप इंडिया अब देश की आर्थिक प्रगति और नवाचारी सोच का बड़ा स्तंभ बन चुका है।

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