मौजूदा वक्त में लगभग हर किसी के पास बैंक अकाउंट होता ही है।वहीं कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है जब एक व्यक्तिके पास एक से ज़्यादा बैंक अकाउंट होता है।बैंकिंग सेवाओं के डिजिटलाइज हो जाने के बाद से अब बैंक अकाउंट ओपन करवाना पहले के मुक़ाबले ज़्यादा आसान हो गया है।यही वजह है कि अब लोगों के पास अलग अलग बैंकों में एक से ज़्यादा अकाउंट मौजूद होते हैं।हालाँकि भले एक से आपके पास एक से ज़्यादा बैंक अकाउंट हैं लेकिन इससे आपको कुछ नुक़सान का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में आइये ये समझ लेते हैं की एक से ज़्यादा बैंक अकाउंट होने पर हमें क्या नुक़सान झेलने पड़ सकते हैं।
एक से ज़्यादा बैंक अकाउंट होने पर सबसे बड़ी समस्या जो सामने आती है वो है मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने की। अधिकतर बैंक अपने ग्राहकों के लिए अकाउंट में एक मिनिमम बैलेंस को मेंटेन रखने का नियम बनाते हैं। ये मिनिमम बैलेंस अलग अलग बैंकों के हिसाब से अलग अलग हो सकता है। यहाँ तक कि कुछ बैंकों में मिनिमम बैलेंस 10,000 रुपये तक का है। मिनिमम बैलेंस ना रखने पर बैंक आप पर कुछ पेनाल्टी भी लगा सकता है।ऐसे में कई सारे अकाउंट होने पर आपको अलग अलग बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने में समस्या आ सकती है।
इसके अलावा एक से ज़्यादा बैंक अकाउंट होने पर आपके साथ फ्रॉड होने का ख़तरा भी बना रहता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है की एक से ज़्यादा बैंक अकाउंट होने से उन सबकी जानकारी को मैनेज करना काफ़ी मुश्किल भरा होता है। ऐसे में आपकी निजी बैंकिंग जानकारियाँ भी आसानी से लीक हो सकती हैं।
बैंक अकाउंट हो जाता है इनवैलिड
एक से ज़्यादा बैंक अकाउंट होने पर उनके इनवैलिड होने का ख़तरा भी बना रहता है। अगर आप अपने बैंक अकाउंट को लंबे समय से इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो आपका बैंक अकाउंट इनवैलिड भी हो जायेगा। ऐसे में अपने बैंक अकाउंट को दोबारा से शुरू करने के लिए आपको कुछ चार्ज भी देना पड़ जाएगा।