Budget 2023: इनकम टैक्स की नई रीजीम को अट्रैक्विट बनाने के लिए क्या कर सकती हैं वित्त मंत्री?
Budget 2023: एक्सपर्ट्स का कहना है कि न्यू टैक्स रीजीम में लोगों के दिलचस्पी नहीं दिखाने की कुछ खास वजहें हैं। सरकार को इसकी कमियां समझ में आ गई होंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे अट्रैक्टिव बनाने के लिए कुछ उपायों का ऐलान बजट में कर सकती हैं
सरकार ने 2020 के बजट में यह कहते हुए नई टैक्स रीजीम (New Tax Regime) को पेश किया था कि यह टैक्सपेयर्स के हित में और काफी आसान है। लेकिन, इसे टैक्सपेयर्स का अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला है।
Budget 2023: सरकार ने 2020 के बजट में यह कहते हुए नई टैक्स रीजीम (New Tax Regime) को पेश किया था कि यह टैक्सपेयर्स के हित में और काफी आसान है। लेकिन, इसे टैक्सपेयर्स का अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला है। टैक्स एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि इसमें बदलाव करना जरूरी है। पूर्व रेवेन्यू सेक्रेटरी तरूण बजाज ने भी हाल में कुछ बदलाव कर इसे टैक्सपेयर्स के लिए अट्रैक्टिव बनाने की जरूरत बताई थी। नई रीजीम में टैक्स स्लैब को तो तर्कसंगत बनाया गया है, लेकिन टैक्स एग्जेम्प्शंस वापस ले लिए गए हैं। पुरानी टैक्स रीजीम में इनकम टैक्स एक्ट के 80सी, 80डी, 24 सहित कई सेक्शन में डिडक्शंस की सुविधा मिलती है। इसलिए आज भी ज्यादातर टैक्सपेयर्स इसका इस्तेमाल करते हैं।
नौकरी करने वाले लोगों को एक फायदा यह है कि उन्हें हर साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए नई और पुरानी रीजीम में से किसी एक को सेलेक्ट करने की सुविधा मिलती है। टैक्स कंसल्टेंट्स का मानना है कि सरकार को कम से कम से जरूरी खर्चों को ध्यान में रखते हुए रूटीन डिडक्शंस के फायदे नई रीजीम में भी देने चाहिए। अभी 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए दोनों ही टैक्स रीजीम में टैक्स से छूट के लिए इनकम की लिमिट 2.5 लाख रुपये है। हालांकि, सरकार सेक्शन 87ए के तहत ऐसे टैक्सपेयर्स को रिबेट देती है, जिनकी सालाना इनकम 5 लाख रुपये से कम है। इसका मतलब है कि उन्हें एक तरह से कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है।
केपीएमजी इंडिया के पार्टनर और हेड पारिजाद सिरवाला (ग्लोबल मोबिलिटी सर्विसेज) ने कहा, "इसके अलावा पुरानी रीजीम को सेलेक्ट करने वाले टैक्सपेयर्स को सेक्शन 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। इसलिए ग्रॉस इनकम जिस पर कोई टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं है, पुरानी रीजीम में बहुत ज्यादा है।"
इसलिए ऐसे लोग जो कम से कम 2.5 लाख रुपये के टैक्स बेनेफिट का दावा करते हैं, उनके लिए नई रीजीम को सेलेक्ट करने की कोई वजह नहीं दिखती। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर सुधाकर सेतुरमण ने कहा, "अगर ओल्ड टैक्स रीजीम के मुकाबले नई टैक्स रीजीम को अट्रैक्टिव बनाना है तो इनकम टैक्स की बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जा सकती है।"
टैक्स रेट में कमी और स्लैब में बदलाव
एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि 30 फीसदी के मैक्सिमम टैक्स रेट को भी घटाकर 25 फीसदी करने की जरूरत है। सेतुरमन ने कहा, "मैक्सिमम टैक्स रेट को 25 फीसदी करने से इंडिया भी पड़ोसी देशों की बराबरी में आ जाएगा। उदाहरण के लिए हांगकांग में मैक्सिमम रेट 17 फीसदी है, जबकि सिंगापुर में 22 फीसदी है। इससे इंडिया के लिए ग्लोबल टैलेंट को अट्रैक्ट करना भी आसान हो जाएगा।"
टैक्सपेयर-फ्रेंडली बनाने के लिए टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया जा सकता है। एकेएम ग्लोबल के पार्टनर संदीप सहगल ने कहा, "अभी ऐसे लोग जिनकी सालाना इनकम 15 लाख रुपेय से ज्यादा है, उनके लिए टैक्स का रेट 30 फीसदी है। न्यू टैक्स रीजीम को अट्रैक्टिव बनाने के लिए इस स्लैब को बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जा सकता है।"
एचआरए एंड हाउसिंग लोन डिडक्शंस
ज्यादातर लोगों के लिए अपना घर होना बहुत मायने रखता है। अभी होम लोन के प्रिंसिपल पर सेक्शन 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स रिलीफ की इजाजत है। इसके अलावा सेक्शन 24 के तहत होम लोन के इंटरेस्ट पर सालाना 2 लाख रुपये तक की टैक्स रिलीफ मिलती है।
जो लोग किराए के घर में रहते हैं, उन्हें HRA क्लेम करने की इजाजत है। नई रीजीम में इस तरह का कोई बेनेफिट नहीं है। सेतुरमन ने कहा, "सरकार न्यू टैक्स रीजीम में एचआरए एग्जेम्प्शन और सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत दे सकती है।"
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमिय पर डिडक्शंस
अभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने पर टैक्स बेनेफिट मिलता है। 60 साल से कम उम्र का कोई व्यक्ति सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर सालाना 25,000 रुपये का डिडक्शन क्लेम कर सकता है। अगर व्यक्ति अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम चुकाता है तो वह सालाना 50,000 रुपये के डिडक्शन को क्लेम कर सकता है। अगर व्यक्ति की खुद की उम्र 60 से ऊपर है तो भी वह सालाना 50,000 रुपये के डिडक्शन का दावा कर सकता है। नई रीजीम में इस तरह का कोई बेनेफिट नहीं दिया गया है।
सिरवाला ने कहा कि कोरोना की महामारी के बाद हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत बहुत बढ़ गई है। लोग खुद और अपने परिवार के सदस्यों के लिए हेल्थ पॉलिसी खरीद रहे हैं। इसलिए सरकार को नई टैक्स रीजीम में भी हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर डिडक्शंस की इजाजत देनी चाहिए।