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Stock Market: सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में पैसा लगा सकते हैं या नहीं? क्या कहते हैं नियम

क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में पैसा तो लगा सकते हैं? जानिए कौन-कौन से नियम जरूरी हैं, कहां मिलती है छूट और कौन सी गलती आपको मुश्किल में डाल सकती है।

अपडेटेड Jun 10, 2025 पर 10:48 PM
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सरकारी कर्मचारियों को अपने सभी निवेशों का पूरा रिकॉर्ड रखना चाहिए।

भारत में शेयर बाजार में निवेश करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। इसमें हर उम्र और आय वर्ग के लोग शामिल हैं। वैसे स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने की इजाजत सभी को है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के लिए शेयर बाजार में निवेश के नियम थोड़े अलग और सख्त होते हैं।

क्या कहते हैं नियम?

भारत में सरकारी कर्मचारियों के आचरण के लिए Central Civil Services (Conduct) Rules, 1964 लागू होते हैं। इन नियमों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारी अपने पद का दुरुपयोग न करें और पूरी ईमानदारी से सेवा करें। इन नियमों के अनुसार, सरकारी कर्मचारी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर और डिबेंचर्स में निवेश कर सकते हैं, लेकिन कुछ शर्तों के साथ।


क्या सरकारी कर्मचारी Demat खाता खोल सकते हैं?

हां, सरकारी कर्मचारी स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए Demat खाता खोल सकते हैं। स्टेट और सेंट्रल दोनों स्तरों के कर्मचारियों को यह सुविधा मिलती है, बशर्ते वे तय नियमों का पालन करें।

सरकारी कर्मचारी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड को सट्टा नहीं माना जाता क्योंकि यह आमतौर पर लॉन्ग टर्म सेविंग के लिए किया जाता है। लेकिन यहां भी नियमों का पालन जरूरी है।

क्या हैं मुख्य शर्तें और प्रतिबंध?

सरकारी कर्मचारी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के जरिए शेयर, सिक्योरिटीज और डिबेंचर्स खरीद और बेच सकते हैं, लेकिन कुछ सीमाएं हैं:

  1. सट्टा कारोबार प्रतिबंधित: Conduct Rules के Rule 35 के अनुसार, सरकारी कर्मचारी डे-ट्रेडिंग या शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग जैसे सट्टा कारोबार में शामिल नहीं हो सकते।
  2. अपने नाम से निवेश: निवेश हमेशा अपने नाम या अपने जीवनसाथी या आश्रित परिवार के सदस्य के साथ संयुक्त रूप से ही किया जा सकता है।
  3. बार-बार ट्रेडिंग मना है: बार-बार शेयर खरीदना और बेचना सट्टा गतिविधि मानी जा सकती है। इसलिए इससे बचना जरूरी है।
  4. संपत्ति की घोषणा जरूरी: अगर निवेश या संपत्ति का कुल मूल्य दो महीने के बेसिक वेतन से ज्यादा हो जाता है, तो इसकी जानकारी देना अनिवार्य है।

ये प्रतिबंध क्यों लगाए गए हैं?

इन नियमों का मकसद यह है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने पद या गोपनीय जानकारी का निजी लाभ के लिए गलत इस्तेमाल न करे। साथ ही, सट्टा कारोबार में शामिल होने से उनके सरकारी कर्तव्यों में भी बाधा आ सकती है।

इन बातों का ध्यान रखना जरूरी

सरकारी कर्मचारियों को अपने सभी निवेशों का पूरा रिकॉर्ड रखना चाहिए और अपने विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। नियमों के दायरे में रहते हुए, म्यूचुअल फंड और लंबी अवधि के शेयरों में निवेश एक सुरक्षित और समझदारी भरा विकल्प है। हमेशा पारदर्शिता और सावधानी सबसे जरूरी है, ताकि किसी तरह की जांच से बचा जा सके।

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