किसी एसेट को खरीदने के कुछ महीने या साल बाद बेचने पर जो मुनाफ होता है, उसे कैपिटल गेंस कहा जाता है। इनकम टैक्स के नियम के तहत कैपिटल गेंस पर टैक्स लगता है। कैपिटल गेंस दो तरह का होता है-शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस। पहले हर एसेट के लिए कैपिटल गेंस टैक्स के नियम अलग-अलग थे। अब सरकार कैपिटल गेंस के नियमों में समानता ला रही है।
स्टॉक और म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स पर टैक्स
अगर किसी शेयर (Stocks) या म्यूचुअल फंड (इक्विटी) की यूनिट्स को खरीदने के 12 महीने के अंदर बेच दिया जाता है तो उस पर शॉर्ट कैपिटल गेंस टैक्स (Short Term Capital Gains Tax) लगता है। 12 महीने के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस लगता है।
रियल एस्टेट पर कैपिटल गेंस के नियम
शेयरों और म्यूचुअल फंडों के शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर 20 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगता है। प्रॉपर्टी (रियल एस्टेट) को अगर 24 महीने के अंदर बेचा जाता है तो उससे हुए प्रॉफिट पर 20 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है। अगर प्रॉपर्टी को 24 महीने के बाद बेचा जाता है तो उससे हुए फायदे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस माना जाता है। इस पर बगैर इंडेक्सेशन 12.5 फीसदी टैक्स लगता है। इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी टैक्स लगता है।
1. अगर किसी व्यक्ति की कुल इनकम कैपिटल गेंस सहित बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है तो उसे कैपिटल गेंस पर टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं है।
2. अगर किसी एसेट्स का ट्रांसफर गिफ्ट के तहत होता है तो उस पर किसी तरह का कैपिटल गेंस नहीं लगता है। शर्त यह है कि यह ट्रांसफर किसी इंडिविजुअल या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की तरफ से किया गया होना चाहिए।
3. इनकम टैक्स के सेक्शन 112ए के तहत शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स को बेचने पर एक वित्त वर्ष में 1.25 लाख रुपये तक का कैपिटल गेंस होता है तो उस पर आपको टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं है।
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4. इनकम टैक्स के सेक्शन 54एफ के तहत अगर प्रॉपर्टी से हुए कैपिटल गेंस को दो साल के अंदर दूसरी प्रॉपर्टी में इनवेस्ट किया जाता है तो उस गेंस पर टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर पुराने एसेट को बेचने के बाद कैपिटल गेंस का इस्तेमाल तीन साल के अंदर घर बनवाले के लिए किया जाता है तो उस पर टैक्स नहीं लगेगा।