कैपिटलमाइंड फाइनेंशियल सर्विसेज के फाउंडर और सीईओ दीपक शेनॉय ने निवेश की पिच पर सीधे बैट से खेलने की सलाह दी है। उनका कहना है कि अगर बॉल ऑफ स्टंप पर आती है तो कवर ड्राइव लगाएं और अगर बॉल लेग स्टंप पर आती है तो फ्लिक करें। उनका कहना है कि अगर निवेश की पिच पर आप बुक के हिसाब से बैंटिंग करेंगे तो लंबी अवधि में अच्छी कमाई कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में रन बनाने के जिस तरह से कई तरीके हैं, उसी तरह निवेश से पैसे बनाने के भी कई तरीके हैं। उन्होंने कहा कि सूर्य कुमार यादव लेग-साइड बॉल को ऑफ साइड में खेलते हैं और काफी रन बनाते हैं। द्रविड़ ने बुक के हिसाब से बैटिंग और कई सेंचुरी बनाई।
म्यूचुअल फंड बिजनेस शुरू करेगी कैपिटलमाइंड
कैपिटलमाइंड फाइनेंशियल सर्विसेज (Capitalmind Financial Services) को हाल में सेबी से म्यूचुअल फंड बिजनेस शुरू करने की इजाजत मिली है। कैपिटल माइंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 2,200 करोड़ रुपये का है। इसके 1,300 क्लाइंट्स हैं। शेनॉय ने कहा कि कैपिलमाइंड में हम क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करते हैं। हमें बुक के हिसाब से निवेश करना पसंद है। निवेश की क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी में फोकस डेटा पर होता है। डेटा कुछ खास एल्गोरिद्म पर रन किए जाते हैं। एल्गोरिद्म कुछ खास फिल्टर्स जैसे ग्रोथ, प्रॉफिटबिलिटी, वैल्यू या क्वालिटी पर आधारित होता है। फिर इस एल्गोरिद्म को अलग-अलग टाइम फ्रेम में टेस्ट किया जाता है। एल्गोरिद्म निवेश के लिए कुछ स्टॉक्स का सेट तय करता है।
2009 में हुई थी कैपिटलमाइंड की शुरुआत
शेनॉय ने कहा कि म्यूचुअल फंड के मामले में भी वह क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका बैकग्राउंड टेक्नोलॉजी का है, लेकिन उनकी दिलचस्पी इनवेस्टमेंट में है। शुरुआत एक ब्लॉग से करने के बाद उन्होंने 2009 में कैपिटलमाइंड की शुरुआत की थी। उन्होंने पहले कैपिटल मार्केट्स के बुनियाद सिद्धातों को समझने की कोशिश की। इससे उन्हें चीजें अलग तरीके से करने में मदद मिली है। कैपिटल माइंड कुछ चुनिंदा पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) में शामिल है, जो सिर्फ मैनेजमेंट फीस लेती है। यह परफॉर्मेंस फीस नहीं लेती है। यह म्यूचुअस फंड्स की तरह है, जिसमें सिर्फ निवेशकों को सिर्फ एक्सपेंस रेशियो चुकाना पड़ता है।
फंड मैनेजर के बगैर निवेश की स्ट्रेटेजी
कैपिटलमाइंड के फाउंडर ने कहा कि इनवेस्टमेंट में अगर इनसान की तरफ से लिए जाने वाले फैसलों की संख्या घटाई जाए तो यह स्ट्रेटेजी बगैर फंड मैनेजर के काम करने लगती है। उन्होंने इसके फायदे बताते हुए कहा कि अगर कल फंड मैनेजर चला जाता है तो भी एल्गोरिद्म अपना काम करता रहेगा। उन्होंने कहा कि कई बार हमने देखा है कि फंड मैनेजर के इस्तीफा देने पर स्कीम का प्रदर्शन खराब हो जाता है। क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी में फीस भी कम रहती है, क्योंकि आपकी निर्भरता फंड मैनेजर पर नहीं होती है।
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क्या है क्वांट इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी?
Quant एक इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी है, जो निवेश के मौकों की पहचान करने के लिए मैथेमेटिकल मॉडल और स्टैस्टिकल मेथड्स का इस्तेमाल करती है। दुनिया में क्वांट फंड मार्केट का साइज 2031 तक बढ़कर 31 लाख करोड़ डॉलर पहुंच जाने की उम्मीद है। 2023 में यह 16 लाख करोड़ डॉलर था। इंडिया में एक्टिव क्वांट म्यूचुअल फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर इस साल अगस्त के अंत में 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। 2020 में यह 300 करोड़ रुपये था। क्वांट स्कीम की संख्या इस दौरान 3 से बढ़कर 10 हो गई है।