CGHS मरीजों को अब हर दिन की नहीं देनी होगी फोटो, सरकार ने बदले सभी नियम
CGHS यानी केंद्रीय सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत इलाज करवाने वाले लाखों मरीजों और इलाज करने वाले अस्पतालों के लिए राहत की खबर है। अब इलाज के दौरान हर दिन मरीज की Geo Tagged यानी लोकेशन वाली फोटो पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी नहीं होगा
CGHS यानी केंद्रीय सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत इलाज करवाने वाले लाखों मरीजों और इलाज करने वाले अस्पतालों के लिए राहत की खबर है।
CGHS यानी केंद्रीय सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत इलाज करवाने वाले लाखों मरीजों और इलाज करने वाले अस्पतालों के लिए राहत की खबर है। अब इलाज के दौरान हर दिन मरीज की Geo Tagged यानी लोकेशन वाली फोटो पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी नहीं होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2024 में यह नियम बनाया था ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके, लेकिन इसमें कई मुश्किलें आ रही थीं।
अब सरकार ने नए नियम जारी किए हैं, जिससे मरीजों और अस्पतालों दोनों का बोझ कम हो गया है। खासकर बुजुर्ग, इमरजेंसी और रेफरल केसों में तस्वीरें कब और कैसे अपलोड करनी हैं, इसका तरीका अब पहले से ज्यादा आसान और साफ कर दिया गया है।
क्या है जियो-टैग फोटो का नियम?
2024 में मंत्रालय ने एक नियम बनाया था कि अस्पतालों को हर मरीज (IPD - इन-पेशेंट) की रोजाना की जियो-टैग की गई फोटो अपलोड करनी होगी। OPD (आउट-पेशेंट) मामलों में भी उसी दिन की फोटो अपलोड करना जरूरी था। इसका मकसद फर्जीवाड़ा रोकना था।
लेकिन अब मंत्रालय ने एक वन-टाइम छूट दी है। दिसंबर 2024 से लेकर अब तक जितने भी केसों में ये फोटो अपलोड नहीं हुई, उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। अस्पतालों को बस नए आदेश (2025 के ऑफिस मेमोरेंडम) की कॉपी हर केस के साथ लगानी होगी और पोर्टल पर फिर से सबमिट करना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी किए गए नए नियमों के अनुसार,अब सभी तरह के IPD और OPD मामलों में जियो-टैग फोटो की जरूरत एक जैसी नहीं है। मरीज की स्थिति और रेफरल के टाइप के आधार पर जरूरत तय की जाएगी।
1. IPD – रेफरल केस (e-referral वाले मामले)
अगर कोई मरीज रेफरल के जरिए भर्ती होता है और उसका रेफरल मान्य है तथा NHA पोर्टल पर अपलोड किया गया है, तो अस्पताल को उस मरीज की कोई जियो-टैग फोटो अपलोड नहीं करनी होगी।
2. IPD – नॉन-रेफरल केस (जैसे इमरजेंसी, 70 साल या उससे अधिक उम्र वाले, फॉलोअप भर्ती आदि)
ऐसे मामलों में अस्पताल को मरीज की दो जियो-टैग फोटो अपलोड करनी होगी। पहली फोटो भर्ती के समय और दूसरी फोटो छुट्टी के समय की लगानी होगी। अगर मरीज 7 दिन से ज्यादा समय तक भर्ती रहता है, तो हर 7वें दिन एक अतिरिक्त फोटो अपलोड करनी होगी। ये फोटो ICU या वार्ड में ली जानी चाहिए। खास बात यह है कि फोटो में CGHS कार्ड दिखाना अब जरूरी नहीं है।
3. OPD – रेफरल या एंडोर्समेंट के साथ (जैसे परामर्श, जांच, डे-केयर आदि)
अगर मरीज किसी वैलिड रेफरल या एंडोर्समेंट के तहत OPD सर्विस ले रहा है, तो कोई जियो-टैग फोटो अपलोड करने की जरूरत नहीं है। बस रेफरल वैलिड होना चाहिए।
4. OPD – बिना रेफरल के
अगर OPD सर्विस बिना किसी रेफरल के दी जा रही है, तो कुछ विशेष मामलों में फोटो अनिवार्य है।
70 साल या उससे अधिक उम्र के मरीजों के लिए।
फॉलोअप परामर्श (जहां नया रेफरल नहीं मिला है),
और बेड-रिडन (चलने-फिरने में असमर्थ) मरीजों के लिए।
बेड-रिडन मरीजों के मामले में वीडियो कंसल्टेशन का स्क्रीनशॉट भी मान्य माना जाएगा।
कैसे करें फोटो अपलोड?
फोटो स्मार्टफोन या टैबलेट से ली जाए, जिसमें लोकेशन (geo-tag) अपने आप जुड़ जाए।
फोटो उसी समय या 24 घंटे के अंदर CGHS पोर्टल पर अपलोड करें।
एक फोटो की साइज 1 MB से ज्यादा न हो, ताकि नेटवर्क स्लो न हो।
अस्पतालों को हर फोटो की एक कॉपी 90 दिनों तक अपने पास सुरक्षित रखनी होगी, ताकि ऑडिट में दिखाई जा सके।