चीनू गुप्ता (Cheenu Gupta) 2006 में जब कॉलेज लेवल की एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रही थी तब उन्हें पता नहीं था कि इससे उनके करियर का रास्ता खुलने वाला है। तब गुप्ता मुंबई के एसपी जैन इंस्टीट्यूट में बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्टग्रेजुएट कर रही थीं। फाइनल ईयर में उन्हें अपने एक क्लासमेट के साथ प्रतियोगिता में प्रजेंटेशन देना था। एक लाख रुपये ईनाम वाले इस कॉन्टेस्ट को वह जीत गईं। तब यूटीआई म्यूचुअल फंड (UTI Mutual Fund) के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर यूके सिन्हा ने उन्हें ट्रॉफी और चेक दिया। इस मौके पर उन्होंने गुप्ता को अपने म्यूचुअल फंड हाउस में जॉब ऑफर किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद गुप्ता ने बतौर रिसर्च एनालिस्ट यूटीआई में नौकरी शुरू कर दी। तब यूटीआई म्यूचुअल फंड इंडिया के बड़े फंड हाउसेज में से एक था।
हर व्यक्ति का अपने फाइनेंस पर नियंत्रण होना चाहिए
गुप्ता आज HSBC India Mutual Fund में सीनियर इक्विटी फंड मैनेजर हैं। वह 39,319 करोड़ रुपये एसेट्स का मैनेजमेंट करती हैं। उनका मानना है कि हर व्यक्ति को अपने पैसे का प्रबंधन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपके फाइनेंस पर आपका नियंत्रण होना चाहिए। इसकी वजह यह है कि फाइनेंस पर कंट्रोल होने से आत्मविश्वास आता है। आपको यह पता होना चाहिए कि आप कितना खर्च कर रहे हैं और कितनी सेविंग्स कर रहे हैं। यह सवाल से खुद से पूछना जरूरी है कि आपकी सेविंग्स भविष्य के पर्याप्त है या नहीं। अगर आप फ्यूचर के लिए अच्छी बचत कर रहे हैं तो इससे आप अपना उद्यम भी शुरू करने के बारे में सोच सकते हैं।
यह निवेश में सेलेक्टिव होने का समय है
शेयर मार्केट्स के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच जाने के बारे में उन्होंने कहा कि यह समय सेलेक्टिव होने का है। खासकर तब जब आप स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निवेश के लिए आइडिया की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि बड़ी संख्या में कंपनियां खासकर दूसरी पीढ़ी के आंत्रप्रेन्योर्स की कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट हो रही हैं। ऐसी कई कंपनियों के स्टॉक्स ने लिस्ट होने के बाद जबर्दस्त तेजी दिखाई है। लेकिन, यह समय सावधानी बरतने का है। 2024 में निवेश के लिए उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग और डिस्क्रेशनरी कंजम्प्शन को अट्रैक्टिव बताया।
महिलाएं टीम के साथ काम करना पसंद करती हैं
क्या एक महिला फंड मैनेजर एक पुरुष फंड मैनेजर से बेहतर होती है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महिला और पुरुष फंड मैनेजर में इस तरह का अंतर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि फर्क यह है कि पुरुष अलग रहकर और आजादी के साथ काम करना चाहते हैं, जबकि महिलाएं टीम के साथ काम करना पसंद करती हैं। दूसरा फर्क यह है कि महिलाएं चीजों को लेकर अपने सोच व्यक्त करती हैं। उन्होंने फैशन इंडस्ट्री का उदाहरण दिया। पुरुषों के मन में इस बारे में कुछ धारणा हो सकती है कि महिलाएं किस तरह फैशन ब्रांड्स खरीदने के बारे में फैसले लेती हैं। इस मामले में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा जानती हैं।