आयकर विभाग अब गलत रिफंड क्लेम को लेकर काफी सख्त है। मान लीजिए कोई व्यक्ति 20% टैक्स स्लैब में आता है और उसने 1 लाख रुपये का फर्जी डिडक्शन दिखाकर करीब 20,000 रुपये टैक्स बचा लिए। अगर यह गलती पकड़ी जाती है तो टैक्स, ब्याज और भारी जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई का जोखिम बन जाता है।
आयकर कानून के मुताबिक, करदाताओं को टैक्स और उस पर लगभग 4,000 रुपये का ब्याज देना पड़ सकता है। फिर सेक्शन 270A के तहत 200% तक पेनल्टी लग सकती है यानी 40,000 रुपये तक का जुर्माना। यह सब मिलाकर गलत डिडक्शन क्लेम करने वाला व्यक्ति 1 लाख रुपये से भी ज्यादा का नुकसान उठा सकता है। वहीं, अगर गलत जानकारी बार-बार दी गई या जानबूझकर किया गया, तो आयकर विभाग जेल तक भेज सकता है।
गलती सुधारने की प्रक्रिया
गलत दावा पकड़े जाने पर टैक्स और जुर्माना तो देना ही होता है साथ ही CA या वकील की फीस, कंपाउंडिंग चार्जेज भी जोड़ें तो हजारों रुपये अतिरिक्त खर्च आ सकता है। कई बार यह राशि 1 लाख रुपये से भी अधिक हो जाती है। ऐसा करने से ना सिर्फ आर्थिक नुकसान होता है बल्कि कानूनी मामलों में फंसने की आशंका भी बढ़ जाती है।
ITR भरते वक्त हर जानकारी को सच्चाई के साथ दर्ज करना बेहद जरूरी है। गलत दावा जानबूझकर या भूल से भी किया गया हो, उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। समय रहते संशोधित रिटर्न फाइल करना और आयकर विभाग की नोटिस का जवाब देना महत्वपूर्ण है, ताकि अतिरिक्त सजा या जुर्माना न लगे।