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Business Idea: किसानों को अब मिट्टी-पानी और मौसम पर नहीं रहना होगा निर्भर, वर्टिकल फार्मिंग से बन जाएंगे करोड़पति

Business Idea: वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी टेक्नोलॉजी है। जिसमें अगर आप 1 एकड़ में खेती करते हैं, तो इसकी पैदावार 100 एकड़ के बराबर मिलेगी। सबसे खास बात है कि शहरी इलाकों में भी इस तकनीक की मदद से खेती की जा सकती है

अपडेटेड Oct 17, 2022 पर 4:54 AM
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वर्टिकल फार्मिंग में खेती पूरी तरह से बंद जगह में होती है।

Business Idea: मौजूदा दौर में जिस तरीके से आबादी में इजाफा हो रहा है। इससे खेती का आकार सिकुड़ रहा है। ऐसे में अब वो दिन दूर नहीं, जब फैक्ट्रियों में साग-सब्जियां उगाई जाने लगेंगी। इजराइल ने एक नई टेक्नोलॉजी के जरिए खेती करनी शुरू कर दी है। इसका नाम वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) है। अब भारत में भी इस टेक्नोलॉजी के जरिए खेती शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र में एक कंपनी (A S Agri and Aqua LLP) का ऐसा ही प्रोजेक्ट चल भी रहा है। जिसमें हल्दी की खेती (How to do vertical farming of turmeric) की जा रही है।

यह वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी टेक्नोलॉजी है। जिसमें अगर आप 1 एकड़ में खेती करते हैं, तो इसकी पैदावार 100 एकड़ के बराबर मिलेगी। यानी एक एकड़ में ही जो आपको एरिया मिलता है। उसमें 100 एकड़ के बराबर एरिया मिल जाता है।

जानिए क्या है वर्टिकल फार्मिंग


वर्टिकल फार्मिंग के लिए एक बड़ा सेट बनाना होता है। जिसका तापमान 12 से 26 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है। फिर इसमें करीब 2-3 फुट के लंबे और चौडे कंटेनर्स में वर्टिकल तरीके से पाइप सेट कर दिया जाता है। इसमें ऊपर का हिस्सा खुला रखा जाता है। जिसमें हल्दी की खेती होती है। वैसे तो वर्टिकल फार्मिंग अधिकतर लोग हाइड्रोपोनिक या एक्वापोनिक तरीके से करते हैं, जिसमें मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता। लेकिन इसमें मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। तापमान को कंट्रोल करने के लिए फॉगर्स लगाए जाते हैं, जो तापमान बढ़ते ही पानी का फुहारा बरसाने लगते हैं और तापमान सामान्य हो जाता है। इसमें एक बार पाइप लगाने के बाद लंब समय तक पाइप बदलने की जरूरत नहीं है।

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जानिए कैसे की जाती है वर्टिकल फार्मिंग

अगर वर्टिकल फार्मिंग के जरिए हल्दी उगाना हो तो 10-10 सेमी की दूरी पर जिग-जैग तरीके से हल्दी के बीज बोए जाते हैं। जैसे-जैसे हल्दी बढ़ती जाती है, इसके पत्ते किनारे की जगह से बाहर की तरफ निकल जाते हैं। हल्दी को अधिक धूप की जरूरत नहीं होती और यह छाया में भी अच्छी पैदावार देती है, ऐसे में वर्टिकल फार्मिंग की तकनीक से हल्दी का बहुत अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। 9 महीने में हल्दी की फसल तैयार हो जाती है। हार्वेस्टिंग के तुरंत बाद दोबारा हल्दी लगाई जा सकती है। यानी 3 साल में 4 बार हल्दी की फसल की जा सकती है। जबकि सामान्य खेती में 1 साल में एक ही बार फसल ली जा सकती है, क्योंकि मौसम का भी ध्यान रखना होता है।

वर्टिकल फार्मिंग के फायदे

इसमें खेती करने के लिए मौसम पर निर्भर नहीं रहना होता, यानी आप जब चाहे तब खेती कर सकते हैं। यह खेती पूरी तरह से बंद जगह में होती है, ऐसे में कीट-पतंगों से नुकसान या बारिश या आंधी-तूफान से नुकसान की आशंका भी नहीं रहती, बशर्ते आपके शेड को कोई नुकसान ना पहुंचे। इस तरह की खेती में सिंचाई में पानी की भी खूब बचत होती है। हालांकि, फॉगर्स में पानी खर्च होता ही है।

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