Business Idea: अगर आप खेती-किसानी के जरिए मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आज हम आपको एक ऐसे पेड़ की खेती के बारे में बता रहे हैं। जिससे आपकी अंधाधुंध कमाई होगी। यह महोगनी के पेड़ की खेती (Mahogany Farming) के बारे में है। यह भूरे रंग की लकड़ी वाला पेड़ है। जिसकी लकड़ी और पत्तियां बाजार में बढ़िया कीमतों पर बिकती हैं। इनकी इतनी मांग है कि इससे किसान करोड़ों रुपये आसानी से कमा सकते हैं। अगर एक एकड़ जमीन में 120 पेड महोगनी के लगाए जाते हैं तो सिर्फ 12 साल में आप करोड़ों रुपये की कमाई कर सकते हैं।
महोगनी की लकड़ी 2000 रुपये प्रति घन फीट के रेट से बिकती है। इसका एक पेड़ 40000-50000 का होता है। महोगनी की खेती आप दो तरीके से कर सकते है। एक खेतों की बाउंड्री पर और दूसरा पूरे खेत में पेड़ों की रोपाई करवा सकते हैं।
कैसा होता है महोगनी का पेड़?
महोगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक उपयोग में लाई जाने वाली लकड़ी होती है। यह लकड़ी लाल और भूरे रंग की होती है। इस पर पानी के नुकसान का कोई असर नहीं होता है। अगर वैज्ञानिकों के तर्कों की बात करें तो यह पेड़ 50 डिग्री सेल्सियस तक ही तापमान को सहने की क्षमता को बदार्शत कर सकता है और जल न भी हो तब भी यह लगातार बढ़ता ही जाता है।
कैसी जगह पर उगते हैं पेड़?
महोगनी के पौधों को उस जगह पर उगाया जाता है, जहा तेज हवाएं कम चलती है, क्योकि इसके पेड़ 40 से 200 फ़ीट की लम्बाई तक लम्बे होते हैं। भारत में यह पेड़ सिर्फ 60 फीट की लम्बाई तक ही होते हैं। इन पेड़ो की जड़ें कम गहरी होती हैं और भारत में इन्हें पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर किसी भी जगह उगाया जा सकता है। इसे किसी भी उपजाऊ मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन जल भराव वाली भूमि में इन पौधों को कभी न लगाएं और न ही पथरीली मिट्टी में लगाएं। इन पेड़ो के लिए मिट्टी का P.H. मान सामान्य होना चाहिए।
महोगनी पेड़ को बहुत ही कीमती जाना जाता है। यह बेहद मजबूत और टिकाऊ होता है। इस पर पानी का भी कोई भूरा असर नहीं पड़ता। इसलिए इसका उपयोग जहाज, कीमती, फर्नीचर, प्लाइबुड, सजावट की वस्तुएं और मूर्तियां बनाने में इसका इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही इस पेड़ के पत्तों का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों में होता है।
महोगनी के पेड़ की पत्तियों में एक खास तरह का गुण पाया जाता है। जिससे इसके पेड़ो के पास किसी भी तरह के मच्छर और कीट नहीं आते हैं। इस वजह से इसकी पत्तियों और बीज के तेल का इस्तेमाल मच्छर मारने वाली दवाइयों और कीटनाशक को बनाने में किया जाता है। इसके तेल का उपयोग कर साबुन, पेंट, वार्निस और कई तरह की दवाइयों को बनाया जाता है।
इसका पौधा पांच साल में एक बार बीज देता है। इसके एक पौधे से पांच किलों तक बीज निकल आते हैं। इसके बीज की कीमत काफी ज्यादा होती है और यह एक हजार रूपए प्रतिकिलो तक बिकते हैं। अगर थोक की बात करें तो लकड़ी थोक में दो से 2200 रूपए प्रति घन फीट में आसानी से मिल जाती है। यह एक औषधीय पौधा भी है। इसलिए इसके बीजो और फूलों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाइयों को बनाने में होता है।