क्या शिकायत करने के बाद भी क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी (CIC) ने आपकी क्रेडिट रिपोर्ट (Credit Report) में गलती ठीक नहीं की है? अगर हां तो आपके लिए अच्छी खबर है। अगर बताने के बाद भी गलती ठीक करने में देर होती है तो इसके लिए क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी को कस्टमर को मुआवजा देना होगा। इसका ऐलान RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने 6 अप्रैल को किया। उन्होंने क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों के शिकायत निपटारण व्यवस्था में सुधार से जुड़े कई उपायों के बारे में बताया। अभी, क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां रिपोर्ट में गलत जानकारी को ठीक करने में काफी समय लगाती हैं। इससे लोगों को बहुत दिक्कत होती है। अगर किसी व्यक्ति को होम लोन लेना है तो क्रेडिट रिपोर्ट में गलत जानकारी की वजह से बैंक उसे लोन देने से मना कर देता है।
RBI ने कहा है, "क्रेडिट इंफॉर्मेशन रिपोर्टिंग को लेकर ग्राहकों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों (CIC) की तरफ से ऐसे मामलों पर ठीक तरह से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसलिए शिकायत निपटारा व्यवस्था में सुधार के लिए व्यापक फ्रेमवर्क बनाने का फैसला लिया गया है।"
केंद्रीय बैंक के इस कदम से क्रेडिट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट में गलती को ठीक करने में देर नहीं होगी। अगर किसी व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट को एक्सेस किया जाता है या देखा जाता है तो उसे तुरंत एसएमएस या ईमेल से अलर्ट मिल जाएगा। अब क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो को यह बताना होगा कि ग्राहक से मिले शिकायत के बाद कितने समय में उसके डेटाबेस से जुड़ी गलती ठीक कर दी जाएगी।
वेबसाइट पर देनी होगी जानकारी
RBI ने कहा है कि क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों को ग्राहक से मिली शिकायत पर डिसक्लोजर देना होगा। उन्हें शिकायत की प्रवृत्ति और संख्या के बारे में भी बताना होगा। यह जानकारियां उन्हें अपनी वेबसाइट पर देनी होगी। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस बारे में डिटेल गाइडलाइन बाद में जारी की जाएगी। पहले क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां Reserve Bank-integrated Ombudsman Scheme के तहत आती थीं।
क्रेडिट रिपोर्ट पर लोन देते हैं बैंक
क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट तैयार करती हैं। हर व्यक्ति को उसकी क्रेडिट हिस्ट्री के हिसाब से एक स्कोर दिया जाता है। इसमें कई बातों का ख्याल रखा जाता है। आम तौर पर EMI पेमेंट, क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के तरीके और लोन लेने की फ्रीक्वेंसी जैसी चीजों के आधार पर क्रेडिट स्कोर तैयार होता है। इस रिपोर्ट और स्कोर को देखकर ही बैंक यह फैसला करता है कि व्यक्ति को लोन दिया जा सकता है या नहीं।