बीते कुछ सालों में इंडिया में कई चीजें डिजिटल हो गई हैं। इसमें सरकार की कोशिशों का बड़ा हाथ है। डिजिटल इंडिया, आधार इंटिग्रेशन, यूपीआई और ई-गवर्नेंस की वजह से यह मुमकिन हुआ है। साथ ही इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम की ग्रोथ ने फाइनेंस, टैक्सेशन और कंप्लायंस की दुनिया में टेक्नोलॉजी के लिहाज से बड़ा बदलाव लाया है। इससे चीजें अब जल्द हो रही हैं। प्रोसेस में लगने वाला टाइम काफी घट गया है।
डिजिटल फॉर्म 16 का इस्तेमाल
इस बदलाव में मैनुअल की जगह डिजिटल टैक्स फाइलिंग भी शामिल है। इसमें Digital Form 16 का बड़ा हाथ है। नौकरी करने वाले हर टैक्सपेयर के लिए Digital Form 16 के महत्व को समझना जरूरी है। इससे उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने में सुविधा होगी। इसमें गलती होने की आशंका काफी घट जाएगी।
डिजिटल फॉर्म 16 टैक्स सर्टिफिकेट का सिर्फ डिजिटल कॉपी भर नहीं है। यह ऐसा सॉल्यूशन है, जो आपके लिए इनकम टैक्स कंप्लायंस को काफी आसान बना देता है। चूंकि इसे आपका एंप्लॉयर सीधे TRACES पोर्टल से जेनरेट करता है, जिससे इसमें आपकी सैलरी, डिडक्शंस और TDS से जुड़े डेटा न सिर्फ सही होते हैं बल्कि यह काफी भरोसेमंद भी होते हैं। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में इसे काफी मदद मिलती है, क्योंकि डेटा मिसमैच या गलत डेटा का डर नहीं रह जाता है।
टैक्स कैलकुलेट करने की जरूरत नहीं
मुख्य डेटा के डिजिटाइज्ड हो जाने से टैक्स फाइल करना काफी आसान हो जाता है। आपको सिर्फ टैक्स फाइलिंग प्लेटफॉर्म पर Digital Form 16 अपलोड करना है। फिर सिस्टम तुरंत इसमें से अपने काम के डेटा ले लेता है। इनमें आपकी सैलरी का अमाउंट, TDS और सेक्शन 80सी और 80डी के तहत डिडक्शंस शामिल होते हैं। इसका मतलब है कि आपको कॉपी और पेन लेकर टैक्स कैलकुलेट करने की जरूरत नहीं रह जाती है।
ITR खुद फाइल करने में मददगार
कोई डेटा गलत होने पर सिसटम तुरंत उसके बारे में बता देता है। इससे आईटीआर सब्मिट करने से पहले आपको डेटा करेक्ट करने का मौका मिल जाता है। इससे खासकर उन लोगों को बहुत फायदा है, जो टैक्स के मामलों के एक्सपर्ट्स नहीं हैं, लेकिन खुद अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रिटर्न फाइलिंग प्रोसेस को लगातार आसान बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि टैक्सपेयर्स खुद रिटर्न फाइल कर सकें।
रिटर्न और रिफंड की जल्द प्रोसेसिंग
डिजिटल फॉर्म 16 का एक बड़ा फायदा यह भी है कि इससे रिटर्न की प्रोसेसिंग काफी तेज रफ्तार से होती है। चूंकि, इसमें दी गई जानकारियां इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जानकारियों से आसानी से मैच कर जाती हैं जिससे टैक्स फाइलिंग प्लेटफॉर्म रिटर्न को जल्द प्रोसेस कर देता है। इससे जल्द ITR एप्रूवल मिल जाता है और रिफंड का प्रोसेस भी जल्द पूरा हो जाता है। यह टैक्सपेयर्स और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट दोनों के लिए फायदेमंद है।
(लेखक क्लियरटैक्स के बिजनेस हेड हैं। यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं, इनका इस पब्लिकेशन से कोई संबंध नहीं है।)