Gold Hallmarking: जुलाई 2025 में केंद्र सरकार ने 9 कैरेट सोने के गहनों की हॉलमार्किंग की मंजूरी दे दी। अब 9 कैरेट गोल्ड भी 24K, 23K, 22K, 20K, 18K और 14K गोल्ड की तरह आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त गोल्ड केटेगरी में शामिल हो गया है। यानी, जब आप 9 कैरेट गोल्ड की ज्वैलरी खरीदने जाओगे, तो हॉलमार्क ज्वैलरी मिलेगी। हॉलमार्क ज्वैलरी के कारण इसे बेचना भी आसान होगा। कम शुद्धता वाला यह सोना सस्ता होता है। 9 कैरेट गोल्ड उन लोगों के लिए एक विकल्प बनकर उभरा है जो ज्यादा कैरेट का सोना खरीदने में सक्षम नहीं हैं। धनतेरस और दिवाली जैसे त्योहारों के बीच ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या 9 कैरेट गोल्ड अब निवेश का नया ऑप्शन बनेगा?
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक कई निवेशक अब कम कैरेट का सोना खरीद रहे हैं ताकि उन्हें सोने की एसेट क्लास में हिस्सा मिल सके। 24K सोने की कीमतें बहुत ऊंची हैं, इसलिए कई खरीदार 14K या यहां तक कि 9K गोल्ड की ज्वैलरी खरीद रहे हैं।
निवेश के लिहाज से कितना सही है 9K गोल्ड?
अगर आप रोजमर्रा पहनने के लिए टिकाऊ और किफायती ज्वेलरी चाहते हैं, तो 9K या 14K गोल्ड बढ़िया है क्योंकि इसमें अन्य मेटल मिलाने से यह मजबूत हो जाती है। लेकिन अगर मकसद निवेश या सेफ्टी है तो 22 या 24 कैरेट गोल्ड में निवेश करें। एक्सपर्ट के मुताबिक 9 कैरेट गोल्ड निवेश के लिए सही नहीं, चाहे इसकी कीमत कम हो क्योंकि इसमें सोने का हिस्सा कम होता है। 22K कैरेट गोल्ड में 91.6% सोना और 18K में 75% सोना होता है। इसकी रीसेल वैल्यू सीधे बाजार कीमत से जुड़ी होती है।
18K या 9K में क्या है बेहतर?
22K से नीचे का सोना लाइफस्टाइल कैटेगरी में आता है। 18K या 9K सोने से बने गहने दिखने में सुंदर जरूर होते हैं, पर निवेश के लिहाज से नहीं। जब आप इसमें मेकिंग चार्ज, जीएसटी और शुद्धता का नुकसान जोड़ते हैं, तो यह सिर्फ पहनने की चीज रह जाती है। 9K का रीसैल वैल्यू ज्यादातर मेकिंग चार्ज पर निर्भर करता है, न कि असली सोने की कीमत पर। इसके अलावा, 22K या 18K सोना आसानी से देशभर में बेचा या गिरवी रखा जा सकता है, जबकि 9K गोल्ड को ज्यादातर ज्वेलर्स स्वीकार नहीं करते।