इनकम का बड़ा हिस्सा EMI पर खर्च कर रहे हैं तो आप बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं

आज कई परिवार मॉडर्न लाइफस्टाइल पर इनकम का बड़ा हिस्सा खर्च कर रहे हैं। इसका सीधा असर उनकी सेविंग्स और इनवेस्टमेंट पर पड़ रहा है। अच्छी इनकम के बावजूद पर्याप्त सेविंग्स और इनवेस्टमेंट नहीं करना भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है

अपडेटेड Nov 01, 2025 पर 5:45 PM
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इमर्जेंसी फंड बनाना, सिप के जरिए हर महीने इनवेस्ट करना और खर्च को नियंत्रण में रखना आपको भविष्य में मुश्किलों से लड़ने की ताकत देता है।

डमॉडर्न लाइफस्टाइल में बढ़ती दिलचस्पी भविष्य में बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। इस बारे में एंफी-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर भूपेंद्र पोपतानी का एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इसमें उन्होंने मॉडर्न लाइफस्टाइल की वजह से बढ़ते आर्थिक दबाव के बारे में आगाह किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 30 साल के अपने एक क्लाइंट के बारे में बताया है।

महंगी कार, इलेक्ट्रॉनिक्स पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे लोग

पोपतानी ने बताया कि उनके क्लाइंट की मंथली सैलरी 1.7 लाख रुपये है। इतनी सैलरी कम लोगों की होती है। क्लाइंट की कुछ समय पहले शादी हुई थी। उसके पास नई कार, आईफोन और अच्छी सजावट वाला घर है। उसके दोस्तों और रिश्तेदारों को उसकी जिंदगी आलीशान लगती है। समाज में उसकी अच्छी इज्जत है। लेकिन, क्लाइंट के अपनी वित्तीय सेहत के बारे में बताने पर पोपतानी चौंक गए।


मॉडर्न लाइफस्टाइल के पीछ भागने से सेविंग की हो रही अनदेखी

पोपतानी ने पोस्ट में बताया है, "क्लाइंट की सैलरी से करीब 90,000 रुपये कार, मोबाइल और उन घरेलू आइटम्स की EMI में चले जाते हैं, जो उसने शादी के बाद खरीदी थी। 30,000 रुपये लाइफस्टाइल से जुड़े कामों पर खर्च हो जाते हैं। इसमें हफ्ते के अंत में घूमना, रेस्टॉरेंट में डिनर आदि शामिल हैं।" उन्होंने बताया है कि जब उन्होंने अपने क्लाइंट से उसके सेविंग्स के बारे में पूछा तो जवाब सुनकर वह दंग रह गए।

सेविंग्स शुरू करने के लिए इनकम बढ़ने का इंतजार करते हैं लोग

क्लाइंट ने सेविंग्स और इनवेस्टमेंट से जुड़े सवालों को पहले टालने की कोशिश की। फिर उसने कहा, "पहले मुझे जिंदगी का मजा लेने दीजिए। मैं काफी संघर्ष करने के बाद यहां पहुंचा हूं। घर खरीदने और अच्छी तरह से सेटल होने के बाद मैं सेविंग्स करना शुरू करूंगा।" इस पर पोपतानी ने पूछा, "अगर आपकी अचानक नौकरी चली जाती है तो क्या होगा?" दरअसल अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों की तरह भारत में अनइंप्लॉयमेंट बेनेफिट्स, फ्री हेल्थकेयर और नौकरी जाने पर होम लोन रीपेमेंट में राहत जैसी सुविधाएं नहीं हैं।

सेविंग्स और निवेश मुश्किल के वक्त काम आते हैं

उन्होंने बताया कि उनकी बातें सुनकर क्लाइंट चुप हो गया। उनका कहना है कि आज युवाओं को यह समझने की जरूरत है कि मुश्किल में फंसने पर कोई बचाने के लिए नहीं आएगा। पोपतानी का यह पोस्ट किसी एक व्यक्ति की कहानी बयां नहीं करती। आज बड़ी संख्या में युवा मॉडर्न लाइफस्टाइल के पीछ भागने में अपनी पूरी इनकम खर्च कर रहे हैं। EMI पर कार, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि चीजें खरीदने का चलन तेजी से बढ़ रहा है।

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अच्छी कमाई के साथ जरूरी है खर्च पर नियंत्रण 

पोपतानी का साफ कहना है कि अच्छी कमाई के साथ खर्च पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। इमर्जेंसी फंड बनाना, सिप के जरिए हर महीने इनवेस्ट करना और खर्च को नियंत्रण में रखना आपको भविष्य में मुश्किलों से लड़ने की ताकत देता है। सफलता का जश्न मनाने में कोई खराबी नहीं है, लेकिन दिखावा से दूरी बनाना जरूरी है। खर्च की जगह आपका फोकस वेल्थ बनाने पर होना चाहिए।

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