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EPF: एक छोटी सी गलती और खत्म हो गया 15 साल का सर्विस पीरियड, जानिए क्या है यह पूरा मामला

अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं तो नौकरी बदलने पर आपको पीएफ का पैसा ट्रांसफर कराने में खास सावधानी बरतने की जरूरत है। यह प्रोसेस काफी टेक्निकल है। इसमें थोड़ी सी चूक से बड़ा नुकसान हो सकता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 15, 2025 पर 2:19 PM
EPF: एक छोटी सी गलती और खत्म हो गया 15 साल का सर्विस पीरियड, जानिए क्या है यह पूरा मामला
अगर आप ऐसी कंपनी में नौकरी करते हैं, जिसका खुद का पीएफ ट्रस्ट है तो पीएफ के पैसे के ट्रांसफर में आपको काफी सावधानी बरतनी होगी।

प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले लोग कंपनी बदलते रहते हैं। वे एक कंपनी से रिजाइन कर दूसरी कंपनी में नौकरी ज्वाइन करते हैं। इसका सीधा असर उनके ईपीएफ अकाउंट पर पड़ता है। उन्हें एक कंपनी से दूसरी कंपनी में अपने ईपीएफ का पैसा ट्रांसफर कराना पड़ता है। इसके लिए एक तय प्रक्रिया है। दिक्कत तब होती है जब कंपनी अपने पीएफ ट्रस्ट्स के जरिए खुद एंप्लॉयीज के पैसे का प्रबंधन करती है। कई बड़ी कंपनियां ऐसा करती हैं। वे एंप्लॉयीज के पीएफ कंट्रिब्यूशंस को खुद मैनेज करती हैं, जबकि पेंशन का कंपोनेंट (ईपीएस) ईपीएफओ को भेजती हैं।

एग्जेम्प्टेड ट्रंस्ट वाली कंपनियों में सावधानी बरतने की जरूरत

अगर आप ऐसी कंपनी में नौकरी करते हैं, जिसका खुद का PF ट्रस्ट है तो पीएफ के पैसे के ट्रांसफर में आपको काफी सावधानी बरतनी होगी। इसका प्रोसेस थोड़ा जटिल है। इसमें एक छोटी सी गलती से आपको बड़ा नुकसान हो सकता है। कंपनियों के अपने पीएफ ट्रस्ट को एग्जेम्प्टेड ट्रस्ट कहा जाता है। एंप्लॉयी के नौकरी बदलने पर एग्जेम्प्टेड ट्रस्ट एंप्लॉयी के पीएफ का पूरा पैसा ईपीएफओ को ट्रांसफर करता है। इस सिंगल एकमुश्त ट्रांजेक्शन को 'एक्युमुलेटेड फंड्स' कहा जाता है। पीएफ में कंट्रिब्यूशन में ब्रेक ना हो, इसके लिए कंपनी अलग से हर महीने का सर्विस डेटा भी ट्रांसफर करती है। ज्यादातर मामलों में सिस्टम दोनों को ठीक तरह से रिकंसाइल कर लेता है।

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