प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले लोग कंपनी बदलते रहते हैं। वे एक कंपनी से रिजाइन कर दूसरी कंपनी में नौकरी ज्वाइन करते हैं। इसका सीधा असर उनके ईपीएफ अकाउंट पर पड़ता है। उन्हें एक कंपनी से दूसरी कंपनी में अपने ईपीएफ का पैसा ट्रांसफर कराना पड़ता है। इसके लिए एक तय प्रक्रिया है। दिक्कत तब होती है जब कंपनी अपने पीएफ ट्रस्ट्स के जरिए खुद एंप्लॉयीज के पैसे का प्रबंधन करती है। कई बड़ी कंपनियां ऐसा करती हैं। वे एंप्लॉयीज के पीएफ कंट्रिब्यूशंस को खुद मैनेज करती हैं, जबकि पेंशन का कंपोनेंट (ईपीएस) ईपीएफओ को भेजती हैं।
