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EPF का ब्याज गड़बड़ा सकता है टैक्स का हिसाब, नोटिस आने का रहेगा खतरा; क्या है बचने का तरीका?

EPF Interest Tax: EPF ब्याज देर से क्रेडिट होने से टैक्सपेयर्स की ITR रिपोर्टिंग उलझ सकती है। ऐसे में इनकम टैक्स विभाग से नोटिस आने का खतरा भी रहता है। जानिए टैक्स नोटिस से कैसे बचें और ब्याज को किस साल की इनकम में दिखाएं।

अपडेटेड Jul 07, 2025 पर 3:01 PM
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EPFO ब्याज अमूमन नए वित्त वर्ष जुलाई-अगस्त तक क्रेडिट करता है।

EPF Interest Tax: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने मेंबर्स के EPF अकाउंट में ब्याज के पैसा क्रेडिट करना शुरू कर दिया है। लेकिन, हर वित्त वर्ष में ब्याज देर से क्रेडिट होने से टैक्सपेयर्स के सामने मुश्किल आ जाती है। उन्हें समझ नहीं आता कि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में इसे कैसे दिखाएं।

इससे कई बार इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) और टैक्स डिपार्टमेंट के फॉर्म 26AS या एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में जानकारी मेल नहीं खाती, जिससे नोटिस जारी होने की आशंका बढ़ जाती है। आइए जानते हैं कि पीएफ ब्याज पर टैक्स कैसे लगता है और इसे ITR में कैसे दिखाया जा सकता है।

अधिक योगदान पर टैक्स देनदारी


इनकम टैक्स के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी का EPF योगदान एक वित्त वर्ष में ₹2.5 लाख से अधिक है, तो अतिरिक्त योगदान पर अर्जित ब्याज टैक्सेबल होता है। सरकारी कर्मचारियों के लिए सीमा ₹5 लाख है।

अगर खाता PAN से जुड़ा है, तो इस ब्याज पर 10% की दर से टीडीएस लगता है। PAN न जुड़े होने की स्थिति में यह दर 20% हो जाती है। हालांकि, अगर कुल टैक्सेबल ब्याज ₹5,000 से कम हो, तो टीडीएस नहीं काटा जाता।

ITR और AIS में संभावित अंतर

EPFO ब्याज अमूमन नए वित्त वर्ष में क्रेडिट करता है। जैसे कि वित्त वर्ष 2024-25 का ब्याज मौजूदा वित्त वर्ष में मिल रहा है। ऐसे में उस पर TDS भी उसी वर्ष लागू होता है। अगर टैक्सपेयर्स पासबुक की एंट्री के आधार पर पिछले साल की इनकम में उस ब्याज को शामिल कर लेता है, तो उसके अगले साल के ITR और AIS/26AS में अंतर दिख सकता है।

ऐसे में AIS में टैक्सपेयर्स यह फीडबैक दे सकता है कि संबंधित TDS पिछली साल की आय पर आधारित है और टैक्स पहले ही चुका दिया गया है। हालांकि, EPFO अगर TDS की जानकारी नहीं सुधारेगा, तो सिस्टम में गलतफहमी बनी रहेगी और टैक्स विभाग आपको नोटिस भेज सकता है।

क्रेडिट के आधार पर करें रिपोर्टिंग

टैक्स एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि EPF ब्याज को क्रेडिट आधारित आधार पर रिपोर्ट किया जाना चाहिए। इसका मतलब कि जिस साल वह वास्तव में खाते में जमा हो और TDS काटा गया हो, उसी साल उसे आय के रूप में शामिल किया जाए।

अगर आपने ब्याज को 'अर्जन'(Accrual) के आधार पर पिछले साल की इनकम में दिखा दिया, लेकिन EPFO ने उसे अगली साल 'क्रेडिट' किया और उसी साल TDS काटा, तो दिक्कत होगी। ऐसे में आयकर विभाग के सिस्टम में आपकी इनकम और 26AS/AIS रिकॉर्ड में अंतर दिखेगा, जिससे आपको टैक्स नोटिस मिल सकता है।

पॉलिसी में स्पष्टता की जरूरत

एक्सपर्ट का मानना है कि इस उलझन की जड़ EPFO की ब्याज क्रेडिट प्रक्रिया है। संगठन को हर वित्त वर्ष के अंत तक ब्याज दरों की घोषणा, अनुमोदन और क्रेडिट की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए, ताकि करदाताओं के लिए रिपोर्टिंग में पारदर्शिता बनी रहे। उसका मौजूदा सिस्टम कर अनुपालन को जटिल बनाता है और अनजाने में गलत रिपोर्टिंग की आशंका बढ़ा देता है।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Jul 07, 2025 3:01 PM

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