Employees' Provident Fund Organisation (EPFO) ने ऑनलाइन पीएफ निकासी प्रक्रिया को काफी आसान बना दिया है। पहले पीएफ का पैसा ऑनलाइन निकालने के लिए में बड़ी झंझट थी। लेकिन, अब सदस्यों को न तो कैंसिल चेक अपलोड करने की जरूरत है। और न ही बैंक अकाउंट वेरिफिकेशन के लिए नियोक्ता (Employer) की मंजूरी लेनी होगी।
EPFO ने नियमों क्या बदलाव किया है?
इस बदलाव से क्या फर्क पड़ेगा?
EPFO के लगभग 8 करोड़ मेंबर हैं। उनके लिए अब क्लेम सेटलमेंट काफी तेज हो जाएगा। श्रम मंत्रालय का कहना है कि इन बदलावों से डॉक्यूमेंट अपलोड से जुड़ी खराब गुणवत्ता और मंजूरी में देरी जैसी समस्याएं खत्म होंगी। इससे कुल मिलाकर EPFO मेंबर का ऑनलाइन पीएफ का पैसा निकालने का एक्सपीरियंस बेहतर होगा।
पहले बैंक को वेरिफिकेशन में 3 दिन लगते थे। वहीं, नियोक्ता की मंजूरी में 13 दिन और लग जाते थे। इससे पूरी प्रक्रिया में काफी देरी होती थी। अब ये वेरिफिकेशन सीधे होता है, जिससे समय की बचत होती है। मई 2024 में EPFO ने KYC वेरिफाइड यूजर्स के लिए इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया था। इसमें 1.7 करोड़ लोगों को लाभ मिला। अब यह सेवा सभी सदस्यों के लिए लागू कर दी गई है।
नियमों में बदलाव क्यों किया गया?
श्रम मंत्रालय का कहना है कि अब कैंसिल चेक या बैंक अकाउंट वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं, क्योंकि UAN-बैंक अकाउंट लिंकिंग के दौरान पहले ही वेरिफिकेशन हो चुका होता है। इस कदम से कर्मचारियों को सुविधा मिलेगी और नियोक्ताओं का बोझ भी घटेगा।
अब तक 7.74 करोड़ EPF अंशधारकों में से 4.83 करोड़ के बैंक खाते उनके UAN से जुड़े हुए हैं। ये बदलाव उन 14.95 लाख सदस्यों को तुरंत राहत देंगे, जो नियोक्ता की मंजूरी के इंतजार में अटके हुए थे।