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Fake Vs Real ₹10 Coin: कैसे करें असली-नकली की पहचान? दुकानदार सिक्का न लें, तो क्या करें?

Fake Vs Real ₹10 Coin: कई लोग 10 रुपये के सिक्कों को बड़ी शक की निगाह से देखते हैं। कोई धारियां गिनता है, कोई रुपये के चिन्ह को देखता है, तो कोई देश के नाम की पोजीशन पर शक करता है। जानिए 10 रुपये के असली-नकली सिक्कों की पहचान कैसे करें और कोई दुकानदार सिक्के लेने से मना करे, तो क्या कर सकते हैं।

अपडेटेड Sep 30, 2025 पर 3:44 PM
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नकली सिक्के अक्सर पुराने डिजाइन की नकल करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी क्वालिटी और फिनिशिंग वैसी नहीं होती।

Fake Vs Real ₹10 Coin: कई लोग मानते हैं कि सिर्फ बड़े नोट जैसे 100, 500 या 1000 रुपये नकली बन सकते हैं, सिक्के नहीं। लेकिन हाल की खबरों ने 10 रुपये के नकली सिक्कों को लेकर चिंता बढ़ा दी है। बेशक सिक्के नकली बनाना नोटों की तुलना में ज्यादा महंगा होता है, लेकिन अफवाहों ने लोगों और दुकानदारों को उलझन में डाल दिया है।

अब लोग सिक्कों के डिजाइन पर शक करने लगे हैं। कोई धारियां गिनता है, कोई रुपये के चिन्ह को देखता है, तो कोई देश के नाम की पोजीशन पर शक करता है। कुछ लोगों का मानना है कि नकली सिक्कों में 10 की जगह 15 धारियां होती हैं या अजीब निशान बने होते हैं।

असली सिक्का कैसे पहचानें


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने साफ किया है कि ये सारी अफवाहें गलत हैं। सिक्के भारत सरकार द्वारा ढाले जाते हैं और समय-समय पर इनके डिजाइन या पैटर्न बदल सकते हैं।

जैसे कि 2009 में जारी 10 रुपये के सिक्कों में 15 धारियां थीं, जो अंदर और बाहर के घेरे को काटती थीं। बीच में अशोक स्तंभ और ‘सत्यमेव जयते’ अंकित था। 2011 में जारी सिक्कों में धारियां घटाकर 10 कर दी गईं, ओवरलैपिंग हटाई गई और संख्या 10 के ऊपर रुपये का चिन्ह जोड़ दिया गया। दोनों डिजाइन वैध हैं और लेन-देन में मान्य हैं।

नकली सिक्के अक्सर पुराने डिजाइन की नकल करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी क्वालिटी और फिनिशिंग वैसी नहीं होती। RBI का कहना है कि सिर्फ डिजाइन देखकर सिक्के को नकली मानना गलत है। सभी 10 रुपये के सिक्के असली माने जाते हैं और इन्हें लेन-देन में स्वीकार करना चाहिए।

Vetrivel spent a month collecting Rs 10 coins amounting to Rs 6 lakh. (Representative image credit: @Manu1432_jaan/Twitter)

दुकानदार सिक्का लेने से मना करे, तो?

अगर कोई दुकानदार आपका 10 रुपये का सिक्का लेने से मना कर दे, तो घबराएं नहीं और न ही अफवाह फैलाएं। आप बैंक जाकर सिक्के की जांच करवा सकते हैं। बैंक संदिग्ध सिक्कों को RBI भेज देता है। अगर सिक्का असली निकलता है तो आपको वापस कर दिया जाएगा। और अगर नकली निकला तो पुलिस जांच शुरू हो सकती है।

सभी बैंकों के लिए यह नियम है कि वे हर तरह के वैध सिक्के स्वीकार करें और बदले में नोट दें। ऐसे सिक्के न लेने वाले पर IPC की धारा 489A से 489E के तहत कार्रवाई हो सकती है। आमतौर पर सुपरमार्केट, रेलवे टिकट काउंटर, टोल प्लाजा, पोस्ट ऑफिस, सरकारी बसें और मॉल जैसे स्थानों पर 10 रुपये के सिक्कों को बिना शक स्वीकार किया जाता है।

ध्यान रखने वाली बात

10 रुपये के सिक्के कानूनी मुद्रा हैं। डिजाइन में फर्क होने का मतलब यह नहीं है कि वे नकली हैं। अगर शक हो तो बैंक से जांच करवाएं, अफवाहों से बचें और सिक्कों का पूरे भरोसे से इस्तेमाल करें। सबसे खास बात की अफवाह न फैलाएं कि डिजाइन बदली है, तो सिक्का नकली हो गया है।

2018 में दायर एक RTI के मुताबिक, 10 रुपये का सिक्का बनाने में 5.54 रुपये खर्च होते हैं। अब 7 साल बाद इसकी लागत काफी बढ़ गई होगी। ऐसे में अगर फर्जी तरीके से 10 रुपये का नकली सिक्का बनाता है, तो उसकी लागत ही 10 रुपये के बराबर पहुंच सकती है। 1 रुपये का सिक्का बनाने की तो लागत भी 1 रुपये से ज्यादा होती है। ऐसे में नकली नोट की तरह सिक्के का नकली होना व्यावहारिक तौर पर काफी मुश्किल है।

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