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गोल्ड के इतिहास का सबसे काला दिन, एक दिन में डूब गए लोगों के ₹10 लाख करोड़

Gold Prices Fall: गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी घटाने के ऐलान के साथ ही, सोने की कीमतों में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। इससे एक दिन में 10.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति स्वाहा हो गई। अगर इसकी शेयर बाजार से तुलना करें, तो यह स्टॉक मार्केट के इतिहास में एक दिन में आई अबतक की छठवीं सबसे बड़ी गिरावट है

अपडेटेड Jul 26, 2024 पर 8:36 PM
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Gold Prices Fall: बजट से एक दिन पहले तक सोने की कीमतों में इस साल 14.7% की तेजी आई थी

Gold Prices Fall: कहते हैं कि कलम तलवार से भी ज्यादा शक्तिशाली होती है, और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात बजट 2024 में सही साबित कर दी। गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी घटाने के ऐलान के साथ ही, सोने की कीमतों में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। इससे एक दिन में 10.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति स्वाहा हो गई। अगर इसकी शेयर बाजार से तुलना करें, तो यह स्टॉक मार्केट के इतिहास में एक दिन में आई अबतक की छठवीं सबसे बड़ी गिरावट है। इससे भी बड़ी बात यह है कि संपत्ति में आए इस गिरावट का सीधा असर देश के लाखों परिवारों पर पड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सोना रखने वाले परिवारों की संख्या शेयर बाजार में निवेश करने वालों की तुलना में कहीं ज्यादा अधिक है।

ऐसे में इस सोने की कीमत घटने का सबसे बड़ा असर उनपर ही पड़ा है। भारतीय परिवारों के पास दुनिया का सबसे बड़ा सोने का भंडार हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, दुनिया के कुल सोने का लगभग 11 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास है। यह अमेरिका, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और IMF के कुल गोल्ड रिजर्व से भी अधिक है।

तो आखिर बजट के दिन सोने की कीमतें गिरीं क्यों?

इस साल की शुरुआत से ही सोने की कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं। बजट से एक दिन पहले तक सोने की कीमतों में इस साल 14.7 प्रतिशत की तेजी आई थी, जो सेंसेक्स के रिटर्न से भी ज्यादा था। लेकिन बजट में वित्त मंत्री ने सोने और चांदी पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 10 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया। साथ ही इस पर लगने वाले एग्रीकल्चर सेस, (जिसका पूरा नाम इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस है), को 5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया। इससे कुल मिलाकर सोने पर लगने वाले अब पहले के 18.5 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत हो गया है। इसमें GST भी शामिल है।


कीमतें घटनें का असर किन पर पड़ा?

सर्राफा व्यापारी तो दाम घटने से बिल्कुल खुश नहीं थे। उन्होंने अपने पास रखी सोने की होल्डिंग्स को बेचकर मुनाफा बुक करना शुरू कर दिया। इससे सोने के दाम में और गिरावट आई। गोल्ड लोन बांटने वाली कंपनियां भी इससे खुश नहीं थे, क्योंकि इससे उनके लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियों में कमी आने की आशंका है, जो उन्हें वित्तीय रूप से कमजोर कर सकती है। भारतीय परिवारों और मंदिरों में कुल मिलाकर 30,000 टन से अधिक सोना है। बजट ऐलान के बाद से इनकी वैल्यू में तेज गिरावट आई है। हालांकि बड़ी ज्वैलरी कंपनियों को इस कदम से लाभ हो सकता है। ट्रेडर्स लंबे समय से गोल्ड कस्टम ड्यूटी घटाने की मांग कर रहे थे और उनका कहना था कि इससे गोल्ड की स्मलिंग यानी तस्करी रुकेगी। सरकार के लिए भी गोल्ड की स्मलिंग में कमी आना एक अच्छी खबर है और क्योंकि उसके रेवेन्यू का नुकसान कम होगा।

सोने की कीमतें वापस ऊपर कब जाएंगी? यह पूछे जाने पर रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर कमोडिटी एनालिस्ट, जिगर त्रिवेदी ने बताया कि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी, फेस्टिव सीजन के दौरान मांग, भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और केंद्रीय बैंक की नीतियों जैसे कुछ ऐसे कारण है, जो गोल्ड के दाम को फिर से बढ़ा सकते हैं। ऐसे में निवेशकों को इन पर नजर रखना चाहिए।

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