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Financial Tips: पहली नौकरी के बाद न करें ये 7 गलतियां, वरना जिंदगी भर होगा पछतावा

Financial Tips: पहली नौकरी के बाद की गई वित्तीय गलतियाँ भविष्य की आर्थिक स्थिरता को खतरे में डाल सकती हैं। बिना बजट खर्च, कर्ज का जाल, बचत की अनदेखी और वित्तीय शिक्षा की कमी आपको पीछे छोड़ सकती है। जानिए सही फाइनेंशियल प्लानिंग के जरूरी कदम।

अपडेटेड Apr 02, 2025 पर 5:39 PM
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पहली नौकरी के बाद क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन जैसी सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं। लेकिन इनका जिम्मेदारी से इस्तेमाल करें।

Financial Tips: नई नौकरी की शुरुआत न सिर्फ करियर में बल्कि आर्थिक जीवन में भी एक अहम पड़ाव होती है। पहली बार अपनी कमाई का अनुभव करना अलग ही अहसास होता है। लेकिन इसी के साथ कुछ वित्तीय जिम्मेदारियां भी आती हैं। अगर सही दिशा में कदम न बढ़ाए जाएं, आपको आगे चलकर पछताना भी पड़ सकता है।

आइए जानते हैं कि नए कमाने वाले अक्सर कौन-सी गलतियां करते हैं। साथ ही, उन्हें सफल निवेश पोर्टफोलियो बनाने और आर्थिक रूप से सुरक्षित भविष्य की नींव रखने के लिए क्या करना चाहिए।

बिना बजट बनाए खर्च करना


पहली सैलरी मिलते ही लोग अपनी आर्थिक आजादी का जश्न मनाने लगते हैं। कई बार वे बिना सोचे-समझे खर्च कर देते हैं और महीने के अंत तक बचत करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आपको एक स्पष्ट और व्यावहारिक बजट बनाना चाहिए। इससे आप अपने खर्च पर नियंत्रण रख सकेंगे और भविष्य के लिए बचत कर सकेंगे।

सैलरी पर पूरी तरह निर्भर रहना

कई लोग अपनी पूरी ज़िंदगी पेचेक-टू-पेचेक गुजारते हैं, यानी जितनी सैलरी आती है, वो पूरी खर्च हो जाती है। यह आदत आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए कोशिश करें कि हर महीने कम से कम 20% बचत करें। इसे अपने आर्थिक भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार या एफडी जैसे किसी माध्यम में निवेश करें।

इमरजेंसी फंड न बनाना

अगर अचानक कोई मेडिकल इमरजेंसी, जॉब लॉस या अन्य वित्तीय संकट आ जाए, तो इसके लिए पहले से तैयार रहना जरूरी है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कम से कम 3-6 महीने की सैलरी के बराबर रकम इमरजेंसी फंड में रखनी चाहिए, जिससे किसी भी मुश्किल समय में कर्ज लेने की जरूरत न पड़े। इसका मतलब है कि अगर आपकी सैलरी 40 हजार महीना है, तो आपके पास कम से कम 1.20 लाख रुपये इमरजेंसी फंड के तौर पर होने चाहिए।

हाई-इंटरेस्ट कर्ज के जाल में फंसना

पहली नौकरी के बाद क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन जैसी सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं। लेकिन बिना प्लानिंग के इन्हें इस्तेमाल करना महंगा साबित हो सकता है। क्रेडिट कार्ड का सही इस्तेमाल करें और उच्च ब्याज दर वाले कर्ज से बचें। हर महीने बकाया रकम समय पर चुकाने की आदत डालें, ताकि ब्याज का बोझ न बढ़े।

रिटायरमेंट प्लानिंग को नजरअंदाज करना

अक्सर युवा मानते हैं कि रिटायरमेंट की योजना बाद में भी बनाई जा सकती है, लेकिन कंपाउंडिंग का जादू तभी दिखता है जब निवेश जल्दी शुरू किया जाए। छोटी बचत भी लंबे समय में बड़ी रकम में बदल सकती है। PPF, NPS, SIP जैसी योजनाओं में निवेश करना शुरू करें, ताकि भविष्य आर्थिक रूप से सुरक्षित रहे।

लाइफस्टाइल इंफ्लेशन का शिकार होना

जैसे-जैसे सैलरी बढ़ती है, लोग अपने खर्चे भी बढ़ा लेते हैं। नई गाड़ी, महंगे गैजेट्स और ब्रांडेड लाइफस्टाइल में पैसा लगाना अच्छा लग सकता है। लेकिन, अगर यह आपकी बचत और निवेश को प्रभावित कर रहा है, तो नुकसानदायक हो सकता है। जरूरत और चाहत के बीच फर्क समझें और फिजूलखर्ची से बचकर रहें।

वित्तीय जागरूकता की कमी

भारत में अभी भी फाइनेंशियल एजुकेशन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। इसके कारण कई युवा गलत निवेश निर्णय लेते हैं या पूरी तरह निवेश से बचते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अच्छी किताबें पढ़ें, फाइनेंशियल पॉडकास्ट सुनें और एक्सपर्ट्स की सलाह लें। इससे आपको सही फाइनेंशियल डिसीजन लेने में आसानी होगी, जो आपके फाइनेंशियल फ्रीडम की राह तैयार करेगा।

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