बीते कुछ सालों में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) में लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ी है। बड़ी संख्या में रिटेल इनवेस्टर्स भी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग कर रहे है। कई रिटेल इनवेस्टर्स को यह नहीं पता कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग को इनकम टैक्स के नियमों में बिजनेस माना जाता है। इस वजह से इसके टैक्स के नियम अलग हैं। गाजियाबाद के सौरभ यादव का सवाल है कि उन्हें एफएंडओ ट्रेडिंग में लॉस हुआ है। क्या वे इस लॉस को कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं? मनीकंट्रोल ने इस सवाल का जवाब दिग्गज टैक्स एक्सपर्ट और सीए बलवंत जैन से पूछा।
जैन ने कहा कि अगर ऑप्शंस में कोई रेगुलरली ट्रेड करता है तो उसे बिजनेस माना जाता है। अगर आपकी इनकम एक साल में 1.20 लाख रुपये से ज्यादा है या आपका बिजनेस टर्नओवर एक साल में 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो आपके लिए बुक ऑफ अकाउंट्स मेंटेन करना जरूरी है। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि सिर्फ बैंक स्टेटमेंट्स और ब्रोकर कॉन्ट्रैक्ट नोट्स मेंटेन करना काफी नहीं है। आपको जर्नल के साथ कैश और बैंक बुक भी मेंटेन करना पड़ेगा। अगर आप ये चीजें मेंटेन नहीं करते हैं तो आप पर 25,000 रुपये पेनाल्ट लग सकती है।
इस बारे में क्या है इनकम टैक्स का नियम
उन्होंने कहा कि बुक ऑफ अकाउंट्स मेंटेन करने के अलावा अगर एक साल में आपका टर्नओवर सभी बिजनेस को मिलकर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है या टोटल रिसीट्स और पेमेंट्स में कैश और पेमेंट रिसीट्स 5 फीसदी से ज्यादा नहीं है और टर्नओवर 10 करोड़ रुपये है तो आपको अकाउंट्स का ऑडिट भी कराना पड़ेगा। अगर किसी ट्रेडर ने पिछले चार सालों में किसी साल सेक्शन 44एडी के तहत प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम को सेलेक्ट किया है और कुल इनकम बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से ज्यादा रहने के साथ वह ऑप्शंस से 6 फीसदी से कम प्रॉफिट क्लेम करता है तो भी अकाउंट्स ऑडिट कराना जरूरी होगा।
उन्होंने कहा कि अगर आपके लिए अकाउंट को ऑडिट कराना जरूरी है लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाते हैं और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तय तारीख से कम से कम एक महीना पहले ऑडिट रिपोर्ट सब्मिट नहीं करते हैं तो आप पर टर्नओवर का 0.5 फीसदी (1.5 लाख रुपये तक) पेनाल्टी लगाई जा सकती है।
लॉस कैरी फॉरवर्ड करने के नियम
जैन ने कहा कि अगर ऑप्शंस में ट्रेडिंग से आपको लॉस होता है तो उसे उसी साल (Same Year)दूसरे इनकम के साथ एडजस्ट नहीं किया जा सकता। लॉसेज को बिजनेस इनकम के साथ सेट-ऑफ करने के लिए अगले 8 साल तक कैरी-फॉरवर्ड किया जा सकता है। अगर ऑडिट जरूरी नहीं है तो लॉस को कैरी-फॉरवर्ड करने के लिए आपका इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन तक आईटीआर फाइल करना जरूरी है। आम तौर पर इसके लिए डेडलाइन 31 जुलाई होती है। अगर ऑडिट जरूरी है तो आम तौर पर इसके लिए डेडलाइन 31 अक्टूबर होती है।
डिसक्लेमर: मनीकंट्रोल पर व्यक्त विचार एक्सपर्ट्स के अपने विचार होते हैं। ये वेबसाइट या मैनेजमेंट के विचार नहीं होते। मनीकंट्रोल इनवेस्टर्स को इनवेस्टमेंट का फैसला लेने से पहले सर्टिफायड एक्सपर्ट्स की राय लेने की सलाह देता है।