Vridha pension: उत्तर प्रदेश सरकार बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में वृद्धा पेंशन प्रणाली को डिजिटल तरीके से सुधारने का प्रस्ताव मंजूर किया गया। सरकार के मुताबिक, नई व्यवस्था पात्र लाभार्थियों की पहचान और उन्हें सीधे पेंशन देने की प्रक्रिया को आसान बनाएगी।
अब पेंशन के लिए अलग से आवेदन नहीं
नई डिजिटल व्यवस्था में बुजुर्गों को पेंशन के लिए अलग से आवेदन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लाभार्थियों की पहचान उनके फैमिली आईडी के आधार पर ही हो जाएगी। जिन लोगों को पेंशन मिलेगी, उनसे सरकार की ओर से सहमति (consent) मांगी जाएगी।
जैसे ही वे सहमति देंगे, पेंशन स्वीकृत कर दी जाएगी। यह जानकारी सामाजिक कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने समाचार एजेंसी PTI को दी है।
राज्य सरकार ने जुलाई 2022 में ‘एक परिवार, एक पहचान’ के तहत फैमिली आईडी योजना शुरू की थी। इसका मकसद पूरे प्रदेश के परिवारों का एक भरोसेमंद डेटाबेस बनाना है ताकि सभी को सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी परेशानी के मिले।
ऐसे होगी बुजुर्गों की पहचान
उत्तर प्रदेश की वृद्धावस्था पेंशन क्या देती है?
वृद्धावस्था पेंशन आर्थिक रूप से कमजोर वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार की एक कल्याण योजना है। इसके तहत राज्य सरकार हर पात्र बुजुर्ग को 1,000 रुपये मासिक पेंशन सीधे बैंक खाते में भेजती है। इस योजना का लाभ महिला और पुरुष, दोनों उठा सकते हैं।
वृद्धावस्था पेंशन के लिए कौन पात्र है?
इस समय व्यवस्था यह है कि लाभार्थियों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है, फॉर्म भरना पड़ता है। फिर उम्र, आय और पहचान के दस्तावेज जमा करने होते हैं। इसके बाद उनका पेंशन आवेदन मंजूर होता है।
नई प्रणाली बुजुर्गों के लिए क्यों आसान होगी?
नई डिजिटल व्यवस्था में पात्र बुजुर्गों की पहचान अपने आप हो जाएगी। उन्हें फॉर्म भरने, दस्तावेज चढ़ाने या कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इससे पेंशन प्रक्रिया काफी आसान और तेज हो जाएगी। खासकर उन बुजुर्गों के लिए जिन्हें आवेदन प्रक्रिया में दिक्कत होती है।