Gold Price: शिखर से नीचे आया सोना, क्या ये है खरीदारी का सही मौका?

सोने की कीमतें अपने ऑल-टाइम हाई से नीचे आ गई हैं। इसकी वजह डॉलर में मजबूती और मुनाफावसूली है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति, भू-राजनीतिक तनाव और ट्रंप के नए टैरिफ का असर गोल्ड मार्केट पर पड़ सकता है। आइए जानते हैं पूरी डिटेल।

अपडेटेड Mar 24, 2025 पर 12:55 PM
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अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ भारत में भी सोने की कीमतों में मामूली गिरावट दर्ज की गई।

Gold Price: सोने की कीमतों (Gold Price) में सोमवार, 24 मार्च को हल्की गिरावट देखी गई। अब सोना अपने ऑल टाइम लेवल से नीचे आ गया है। इसकी अहम वजह अमेरिकी डॉलर में मजबूती रही, जिसने अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए गोल्ड को महंगा बना दिया। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीदों के चलते सोने का आउटलुक अब भी मजबूत बना हुआ है। आइए जानते हैं कि सोने का लेटेस्ट रेट क्या है और क्या ये गोल्ड खरीदने का सही वक्त है।

अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में सोने का भाव

सोने की हाजिर कीमत 0.2% गिरकर $3,016.43 प्रति औंस पर आ गई। वहीं, अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स $3,020.80 प्रति औंस पर स्थिर बने रहे। इससे पहले, 20 मार्च को सोने ने रिकॉर्ड उच्च स्तर $3,057.21 प्रति औंस को छुआ था।


अगर भारतीय बाजार की बात की बात करें, तो यहां भी सोने की कीमतों में मामूली गिरावट दर्ज की गई।

  • 24 कैरेट सोना: ₹8,999.3 प्रति ग्राम (₹10 की गिरावट)
  • 22 कैरेट सोना: ₹8,246.3 प्रति ग्राम (₹10 की गिरावट)

सोने की कीमतों पर किन फैक्टर का दिखेगा असर

डॉलर इंडेक्स तीन सप्ताह के उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गया है। इससे सोने की मांग पर दबाव पड़ा। सोने की अधिकतर खरीद-बिक्री डॉलर में होती है। इसलिए डॉलर की वैल्यू में कोई भी उतार-चढ़ाव डॉलर की कीमतों को प्रभावित करता है।

अगर भू-राजनीतिक फैक्टर पर नजर डालें, तो अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल रूस के साथ ब्लैक सी में संघर्ष विराम पर चर्चा करने की तैयारी में है। वहीं, गाजा में इजरायली एयरस्ट्राइक के बाद मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है। रूस-यूक्रेन शांति वार्ता की संभावनाएं भी कमजोर होती दिख रही हैं, क्योंकि हाल ही में यूक्रेन ने रूस पर ड्रोन हमले किए हैं। गोल्ड प्राइस पर इन सभी फैक्टर का असर दिख सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर का असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से प्रभावी होने वाले नए रेसिप्रोकल टैरिफ यानी पारस्परिक शुल्क का एलान किया है। इसका ग्लोबल ट्रेड और महंगाई पर सीधा असर पड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने इन शुल्कों में लचीलापन दिखाने का संकेत दिया है। इससे बाजार में हल्की राहत देखी गई और सोने की तेजी पर कुछ हद तक लगाम लगी।

फेडरल रिजर्व की पॉलिसी

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछले हफ्ते ब्याज दरों को 4.25%-4.50% पर स्थिर रखा। उसने 2025 के अंत तक दो बार कटौती की संभावना जताई। चूंकि सोना बिना ब्याज वाला निवेश है, इसलिए ब्याज दरों में कटौती इसे निवेशकों के लिए और आकर्षक बना सकती है।

एक्सपर्ट का क्या नजरिया है?

मेहता इक्विटीज में कमोडिटीज के वाइस प्रेसिडेंट राहुल कलंत्री के मुताबिक, "डॉलर की मजबूती और 2 अप्रैल को घोषित होने वाले टैरिफ का इंतजार करने के चलते सोने में भारी मुनाफावसूली देखी गई। हालांकि, भू-राजनीतिक जोखिम और अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर जारी अनिश्चितता के कारण सोने की सुरक्षित निवेश संपत्ति के रूप में मांग बनी रहेगी।"

निवेश का आउटलुक कैसा है?

सोना मुद्रास्फीति, भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता के खिलाफ एक मजबूत हेजिंग विकल्प बना हुआ है। अल्पकालिक उतार-चढ़ाव संभव है। लेकिन अगर वैश्विक जोखिम बढ़ते हैं या फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में और कटौती का संकेत देता है, तो लॉन्ग टर्म में सोने में मजबूती का ट्रेंड बना रह सकता है।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Mar 24, 2025 12:55 PM

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