Gold Price Down: सीजफायर के बाद क्या सोने में तेजी का ट्रेंड खत्म हो चुका है?

ईरान ने हॉर्मुज की खाड़ी को रोकने का फैसला नहीं किया, जिसकी वजह सिर्फ आर्थिक है। इस बार ऑयल की कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं दिखी। अमेरिका के ईरान पर हमला करने से ऑयल ट्रेडर्स की चिंता थोड़ी बढ़ी। लेकिन, वह सिर्फ थोड़े समय के लिए

अपडेटेड Jun 24, 2025 पर 3:42 PM
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अमेरिका के ईरान पर हमला करने से ऑयल ट्रेडर्स की चिंता थोड़ी बढ़ी। लेकिन, वह सिर्फ थोड़े समय के लिए। इस दौरान गोल्ड की कीमतें भी स्थिर बनी रहीं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर का ऐलान किया है। हालांकि, ईरान ने अभी खुलकर इसकी पुष्टि नहीं की है और इजरायल ने इस पर अपनी रजामंदी जताई है। लेकिन, सीजफायर की खबर मिलते ही इनवेस्टर्स के मन में कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं। मेरे रीडर्स के मन में एक सवाल यह आ रहा है कि क्या सुरक्षित निवेश के लिए हो रही सोने की खरीदारी अब खत्म हो गई है? क्या गोल्ड के निवेशकों का औसत से ज्यादा रिटर्न कमाने का सपना चकनाचूर हो गया है?

इनवेस्टर्स के दोनों सवालों की बात करें तो ऑयल और गैस की कीमतों में आई तेज गिरावट से उनका डर और बढ़ गया है। इसका मतलब है कि इनफ्लेशन को लेकर चिंता अब नहीं रह गई है। इस बारे में मेरा विचार यह है कि ऑयल की कीमतों में गिरावट कोई नई बात नहीं है। 2022 की शुरुआत में पीक पर पहुंचने के बाद से एनर्जी की कीमतों में गिरावट का रुख है। तब रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई की वजह से तेल और गैस की कीमतों में उछाल आया था।

ईरान ने हॉर्मुज की खाड़ी को रोकने का फैसला नहीं किया, जिसकी वजह सिर्फ आर्थिक है। इस बार ऑयल की कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं दिखी। अमेरिका के ईरान पर हमला करने से ऑयल ट्रेडर्स की चिंता थोड़ी बढ़ी। लेकिन, वह सिर्फ थोड़े समय के लिए। इस दौरान गोल्ड की कीमतें भी स्थिर बनी रहीं। मैंने पहले अपने लेख में बताया है कि क्यों 2025 में बुलियन की कीमतें ऊपर जाएंगी। डॉलर में कमजोरी का रुख है। दुनिया में करीब 60 देशों में आर्म्ड कनफ्लिक्ट, आतंकी हमले और उथलपुथल देखने को मिली है।


अगर आप दुनियाभर में सरकारों पर कर्ज के बोझ को देखेंगे तो आप चिंतित हो जाएंगे। दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी अमेरिका पर कर्ज बढ़कर 36 लाख करोड़ डॉलर के पार चला गया है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि अमेरिका हर साल इस कर्ज का 1 लाख करोड़ डॉलर का इंटरेस्ट चुकाता है। दुनियाभर में केंद्रीय बैंक इंटरेस्ट रेट में कमी कर रहे हैं ताकि सरकारों के कर्ज पर इंटरेस्ट पर होने वाला खर्च कम हो जाए।

अब तक दुनिया में डॉलर का रूतबा रिजर्व करेंसी का रहा है। ग्लोबल कमोडिटी मार्केट्स में भी पेमेंट के लिए इस करेंसी का इस्तेमाल होता रहा है। एसेट की कीमतें डॉलर में बताई जाती हैं। अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने का मतलब है कि अब पहले के मुकाबले इससे कम चीजें खरीदी जा सकती हैं। इसका मतलब है कि डॉलर में जिस रफ्तार से कमजोरी आएगी उससे तेज रफ्तार से सोने में मजबूती आएगी। ऐसे में सोने में तेजी जारी रहने की उम्मीद है।

विजय भंबवानी

(लेखक एक प्रॉपरायटरी ट्रेडिंग फर्म के फाउंडर और सीईओ हैं।)

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First Published: Jun 24, 2025 1:59 PM

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