सोने की कीमतों में 3 नवंबर को स्थिरता दिखी। अमेरिकी डॉलर में मजबूती का असर सोने की कीमतों पर पड़ा। स्पॉट गोल्ड 4,000.65 डॉलर प्रति औंस पर रहा, जबकि यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 0.4 फीसदी बढ़कर 4,010 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। हालांकि, सोना 4,381.21 डॉलर प्रति औंस के अपने ऑल-टाइम हाई से करीब 9 फीसदी टूट चुका है। 20 अक्तूबर को सोने ऊंचाई का नया रिकॉर्ड बनाया था।
24 कैरेट गोल्ड की कीमत 12317 रुपये प्रति ग्राम
भारत में 24 कैरेट Gold की कीमत 12,317 रुपये प्रति ग्राम, 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 11,290 रुपये प्रति ग्राम और 18 कैरेट की कीमत 9,238 रुपये प्रति ग्राम रही। दिल्ली में चांदी 1,54,000 रुपये प्रति किलो रही। मार्केट एनालिस्ट का कहना है कि डॉलर में मजबूती है, जिससे सोने की कीमतों को सपोर्ट नहीं मिल रहा है। डॉलर में कमजोरी आने पर सोने की चमक बढ़ती है। डॉलर में मजबूती आने पर सोने की चमक घट जाती है।
गोल्ड पर अमेरिका और चीन में समझौते का असर 
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 29 अक्तूबर को इंटरेस्ट रेट में कमी की। लेकिन, उसने इस साल इंटरेस्ट रेट में कमी की कम गुंजाइश के संकेत दिए। सीएमई फेडवाच टूल के मुताबिक, दिसंबर में इंटरेस्ट रेट में कमी की संभावना अब घटकर 71 फीसदी रह गई है। पहले यह 90 फीसदी से ज्यादा थी। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच टैरिफ में कमी करने पर सहमति बन गई है। अमेरिका ने चीन पर ड्यूटी 57 फीसदी से घटाकर 47 फीसदी कर दी है।
गोल्ड ईटीएफ में निवेश में दिलचस्पी कायम
चीन ने अमेरिका रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई का भरोसा दिया है। उसने अमेरिका से सोयाबीन खरीदने में भी दिलचस्पी दिखाई है। चीन ने गोल्ड की बिक्री पर वैट में 6 फीसदी की राहत खत्म कर दी है। इससे चीन में गोल्ड की कीमतें बढ़ेंगी, जिसका असर गोल्ड की डिमांड पर पड़ सकता है। हालांकि, गोल्ड में इनवेस्टमेंट में दिलचस्पी बनी हुई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, तीसरी तिमाही में गोल्ड ईटीएफ में निवेश 222 टन पहुंच गया।
आगे कैसा रहेगा गोल्ड में ट्रेंड?
एनालिस्ट्स का मानना है कि फिलहाल गोल्ड की कीमतें सीमित दायरे में बनी रहेंगी। Augment Goldtech के मुताबिक, गोल्ड में 3,920-4,060 डॉलर प्रति औंस के बीच कंसॉलिडेशन जारी रह सकता है। इंडिया में यह रेंज 1.19 से 1.22 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम होगी। अगर गोल्ड इस लेवल को तोड़ देता है तो फिर उसमें 3-5 फीसदी का उछाल दिख सकता है। इस बीच निवेशकों की नजरें अमेरिकी इकोनॉमी से जुड़े कुछ प्रमुख डेटा पर लगी हैं।