गोल्ड ने 8 अक्टूबर को ऊंचाई का नया रिकॉर्ड बना दिया। पहली बार यह 4,000 डॉलर प्रति औंस के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार निकल गया। गोल्ड तब ऑल-टाइम हाई पर है, जब दिवाली करीब है। भारत में धनतेरस और दिवाली के मौके पर बुलियन (सोना-चांदी) खरीदना शुभ माना जाता है। ऊंची कीमतों का असर इस बार दिवाली पर खरीदारी पर पड़ सकता है। लेकिन, इंडिया में आम तौर पर गोल्ड में तेजी से लोग खुश हैं, क्योंकि ज्यादा या कम करीब हर परिवार के पास गोल्ड ज्वैलरी होती है।
इस साल 50 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है गोल्ड
वेल्थ मैनेजर मनीफार्म के चीफ इनवेस्टमेंट अफसर रिचर्ड फ्लैक्स ने बताया, "इनवेस्टर्स की दिलचस्पी की वजह से Gold Price में तेजी जारी है। इस साल गोल्ड 50 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है। सिर्फ सितंबर में यह करीब 12 फीसदी उछला है।" बहुत कम ऐसा हुआ होगा, जब किसी एक महीने में गोल्ड ने इतनी ज्यादा तेजी दिखाई होगी। आखिर गोल्ड में इस अप्रत्याशित तेजी की क्या वजह है?
अमेरिका में इंटरेस्ट रेट घटने की उम्मीद से भी मिल रहा सपोर्ट
गोल्ड को पारंपरिक रूप से इनवेस्टमेंट का सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता रहा है। जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ने पर इसकी डिमांड बढ़ जाती है। रूस-यूक्रेन लड़ाई और इजरायल-हमास में टकराव से जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ा है। अमेरिका में गवर्नमेंट शटडाउन और फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट घटाने के अनुमान का असर भी गोल्ड पर पड़ रहा है। इंटरेस्ट रेट घटने पर डॉलर कमजोर होगा। डॉलर में कमजोरी से दूसरी करेंसी में सोना खरीदना सस्ता हो जाता है। इसलिए डॉलर में कमजोरी आने पर सोने की चमक बढ़ जाती है।
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से बढ़ी है अनिश्चितता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने ग्लोबल इकोनॉमी के लिए अनिश्चितता बढ़ाई है। कई देशों की सरकारों पर कर्ज का बढ़ता बोझ भी चिंता बढ़ा रहा है। ट्रंप ने छोटे-बड़े देशों पर काफी टैरिफ लगाया है। इंडिया पर तो ट्रंप ने 50 फीसदी ट्रैरिफ लगाया है। इंडिया के अलावा सिर्फ ब्राजील पर ट्रंप ने 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। इस वजह से सुरक्षित निवेश के लिए गोल्ड में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है।
दूसरी तिमाही में गोल्ड की डिमांड 3 फीसदी बढ़ी
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दूसरी तिमाही में गोल्ड की डिमांड 3 फीसदी बढ़कर 1,249 टन पर पहुंच गई। इसमें बढ़ते जियोपॉलिटिकल टेंशन और इसकी कीमतों में तेजी का हाथ था। डब्ल्यूजीसी का मानना है कि आर्थिक अनिश्चितता और जियोपॉलिटिकल टेंशन की वजह से दुनिया में कई देशों के केंद्रीय बैंक गोल्ड खरीद रहे हैं। गोल्ड ईटीएफ में बढ़ते निवेश से भी फिजिकल गोल्ड की मांग बढ़ी है।
स्टॉक मार्केट्स और बिटकॉइंस में भी तेजी
फ्लैक्स ने कहा, "इस साल की शुरुआत में गोल्ड में तेजी की वजह ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी थी, जबकि दूसरी तिमाही में स्ट्रॉन्ग सेंटिमेंट और गोल्ड ईटीएफ में ज्यादा निवेश की वजह से गोल्ड में तेजी आई है।" WGC का मानना है कि कीमतों में उछाल का असर ज्वेलरी की डिमांड पर पड़ा है। तेजी सिर्फ गोल्ड में नहीं दिख रही बल्कि दुनिया के कई बड़े स्टॉक मार्केट्स और बिटकॉइंस भी नए हाई पर पहुंच गए हैं।