Gold rate today: क्या गोल्ड सच में निवेश का सबसे सुरक्षित विकल्प है?

आम तौर पर इनवेस्टर्स तब किसी एसेट को खरीदना चाहते हैं जब उसकी कीमतें चढ़ रही होती हैं। स्टॉक मार्केट्स में बुल रन के दौरान भी यह चीज देखने को मिलती है। शेयरों में कुछ खास सेक्टर में भी यह बात देखने को मिलती है

अपडेटेड May 06, 2025 पर 10:47 AM
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करीब दो हफ्ते पहले गोल्ड 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गया था।

मेरे एक दोस्त ने हाल में पूछा कि क्या उसे गोल्ड खरीदना चाहिए। यह सवाल उसने तब पूछा जब सोने की कीमतें ऑल-टाइम हाई पर हैं। करीब दो हफ्ते पहले गोल्ड 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गया था। लेकिन, यह सोने में निवेश करने का सबसे खराब समय है।

आम तौर पर इनवेस्टर्स तब किसी एसेट को खरीदना चाहते हैं जब उसकी कीमतें चढ़ रही होती हैं। स्टॉक मार्केट्स में बुल रन के दौरान भी यह चीज देखने को मिलती है। शेयरों में कुछ खास सेक्टर में भी यह बात देखने को मिलती है। कुछ समय पहले हमने देखा था कि कैसे इनवेस्टर्स पीएसयू और डिफेंस स्टॉक्स के पीछे भाग रहे थे। ऐसी ही स्थिति मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में देखने को मिली थी, जब निवेशक इनमें ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे थे।

अब यह बात गोल्ड में देखने को मिल रही है।


इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि शेयरों में पैसे लगाना निवेश के लिहाज से अच्छा है। लेकिन, जब बात सोने की होती है तो मामला थोड़ा अलग हो जाता है। कुछ वजहों से सोने में निवेश को लेकर एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय रही है। मेरे कहने का मतलब यह नहीं है कि आपको गोल्ड नहीं खरीदना चाहिए। मैं सिर्फ यह चाहती हूं कि गोल्ड में इनवेस्ट करने से पहले कुछ बातें आपके दिमाग में स्पष्ट होनी चाहिए।

आप सोने में निवेश क्यों करना चाहते हैं?

गोल्ड को प्रोडक्टिव एसेट नहीं माना जाता है, क्योंकि इससे किसी तरह का कैश फ्लो नहीं आता है। प्रॉपर्टी की तरह गोल्ड से किसी तरह की रेंट इनकम भी नहीं होती है। शेयरों की तरह गोल्ड से किसी तरह की डिविडेंड इनकम भी नहीं आती है। आखिर में इससे आपको कोई इंटरेस्ट इनकम भी नहीं होती है।

क्या दुनिया में बढ़ती उथलपुथल के बीच आप निवेश के लिए किसी सुरक्षित विकल्प की तलाश में हैं? टैरिफ की वजह से अमेरिकी इकोनॉमी के मंदी में जाने और इनफ्लेशन बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। टैरिफ वॉर की वजह से ग्लोबल इकोनॉमी को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति है। यूक्रेन-रूस और मध्य पूर्व में जियोपॉलिटिकल टकराव जारी है।

क्या सोना सुरक्षित निवेश का सबसे अच्छा जरिया है?

मैं जब मॉर्निंगस्टार में थी तब मैंने इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट टीम के दो साथियों से यह पूछा था कि किस एसेट को निवेश का सुरक्षित विकल्प (safe haven) माना जाना चाहिए। एक दोस्त ने कहा कि सेफ हेवन का मतलब ऐसे एसेट से है, जिसकी वैल्यू बाजार में अनिश्चितता या गिरावट के बीच भी बनी रहती है या बढ़ती है। यह कैपिटल को डूबने से बचाता है। इस पर बाजार में उतारचढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता है। साथ ही यह पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन में मदद करता है। गोल्ड एक ऐसा एसेट है, जिसकी वैल्यू स्थायी होती है। इसकी क्वालिटी पर समय का कोई असर नहीं पड़ता है। इसलिए इसे safe haven माना जा सकता है।

किसी एसेट को इन पांच दूसरी वजहों से भी सेफ हेवन माना जाता है। पहला, उसके लिए मार्केट में अच्छी लिक्विडिटी होनी चाहिए। दूसरा, वैल्यू बनाए रखने के अलावा उसके पीछे दूसरा मकसद भी होना चाहिए। तीसरा, वह दुर्लभ होना चाहिए। चौथा, लोगों को भविष्य में इसकी जरूरत होनी चाहिए। पांचवां, समय के साथ यह खराब नहीं होना चाहिए।

अमेरिकी सरकार के बॉन्ड्स भी सेफ हेवन एसेट हो सकते हैं। उनमें काफी लिक्विडिटी होती है। वे स्थायी होते हैं और उनकी डिमांड की गारंटी होती है। लेकिन, निवेश के अलावा इसकी दूसरी कोई उपयोगिता नहीं होती है और सरकार जितना चाहे उतना बॉन्ड्स इश्यू कर सकती है। बॉन्ड्स में निवेश करने पर इंटरेस्ट के रूप में इनकम होती है। इसके उलट गोल्ड एक प्राकृतिक संसाधन है। इससे किसी तरह की इंटरेस्ट इनकम नहीं होती है लेकिन इंटरेस्ट रेट कम या निगेटिव होने पर गोल्ड की वैल्यू बढ़ती है।

गोल्ड सदा के लिए है

गोल्ड की वैल्यू हमेशा बनी रहती है। हम सैकड़ों सालों से गोल्ड को देखते आ रहे हैं। भविष्य में भी इसकी वैल्यू बनी रहेगी। हजारों साल तक वैल्यू बनाए रखने की इसकी क्षमता इसे safe haven asset बनाती है। जब कभी दुनिया में उथलपुथल बढ़ती है तो गोल्ड की कीमतों में तेजी आती है। इनवेस्टर्स की दिलचस्पी इसमें बढ़ जाती है। 2008 में ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के दौरान गोल्ड ने दूसरे एसेट्स के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया था। 2020 में कोविड शुरू होने पर भी गोल्ड में तेजी देखने को मिली थी।

इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं कि गोल्ड एक सेफ हेवन है। यह पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के लिए जरूरी है। मार्केट में बड़ी गिरावट के दौरान यह पोर्टफोलियो की वैल्यू घटने से बचाता है।

गोल्ड की कीमतों में भी गिरावट आती है

अब हम गोल्ड की कीमतों के इतिहास की बात करते हैं। सितंबर 1980 में गोल्ड का भाव 650 डॉलर प्रति औंस था। एक दशक बाद यह 400 डॉलर प्रति औंस के नीचे चला गया था। जनवरी 2007 की शुरुआत में यह 650 डॉलर प्रति औंस को पार कर गया। क्या आपको नहीं लगता कि लंबे समय बाद गोल्ड ने दोबारा 650 डॉलर का लेवल हासिल किया था? 15 अप्रैल, 2005 को गोल्ड 423 डॉलर प्रति औंस पर था। दो दशक बाद 15 अप्रैल, 2025 को यह 3,222 डॉलर प्रति औंस था। यह करीब 10 CAGR का रिटर्न है।

लंबी अवधि में गोल्ड की कीमतें बढ़ेंगी। लेकिन आप इसकी कीमतें हमेशा एक दिशा में जाने की उम्मीद नहीं कर सकते। अगर आप इसमें निवेश करना चाहते हैं तो कर सकते हैं, लेकिन अभी इसे लेकर जिस तरह की बातें हो रही हैं, उससे प्रभावित होने की जरूरत नहीं है। आपको गोल्ड की कीमतों में स्थिरता और यहां तक कि गिरावट के लिए भी तैयार रहना होगा।

आपको क्या करना चाहिए?

आप बैंक से गोल्ड खरीद सकते हैं। लेकिन, जरूरत पड़ने पर आपको इसे अथॉराइज्ड डीलर को बेचना होगा, क्योंकि बैंक गोल्ड बेचते हैं लेकिन उसे वापस खरीदते नहीं हैं। इसके अलावा इसे सुरक्षित रखना भी एक चैलेंज है।

आप शौक के लिए या अपने बच्चों को गिफ्ट करने के लिए गोल्ड ज्वैलरी खरीद सकते हैं। डिजाइन के हिसाब से गोल्ड ज्वैलरी का मेकिंग चार्ज उसकी खरीद कीमत का 10-15 फीसदी हो सकता है। जब आप गोल्ड ज्वैलरी बेचने जाते हैं तो इस मेकिंग चार्ज को आपको भूल जाना पड़ता है। गोल्ड की शुद्धता भी एक बड़ा मसला है।

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गोल्ड में निवेश का सबसे आसाना रास्ता Gold ETF है। इसमें निवेश करने पर आपको फिजिकल मेटल जैसी वैल्यू मिलती है। यह डीमैटेरियलाइज्ड फॉर्म में उपलब्ध है। इसका मतलब यह है कि इसमें गोल्ड को सुरक्षित रखने का चैलेंज नहीं है।

लैरिसा फर्नांड

(एल फर्नांड पर्सनल फाइनेंस और इनवेस्टमेंट पर लिखती हैं। यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं। इसका इस पब्लिकेशन से कोई संबंध नहीं है)

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: May 06, 2025 10:02 AM

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