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अब बैंक डूबा तो मिलेंगे ₹5 लाख से ज्यादा रकम, डिपॉजिट इंश्योरेंस लिमिट बढ़ाने की तैयारी में केंद्र सरकार

Bank Deposit Insurance: पीएमसी बैंक घोटाले के बाद डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) बीमा सीमा 2020 में एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई थी। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र आरबीआई की निगरानी में अच्छी तरह चल रहे हैं

अपडेटेड Feb 18, 2025 पर 3:08 PM
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Bank Deposit Insurance: अगर बैंक डूब जाता है तो मौजूदा समय में ग्राहकों को 5 लाख रुपये तक की जमा राशि पर इंश्योरेंस कवर मिलता है

Bank Deposit Insurance: वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने सोमवार (17 फरवरी) को कहा कि सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा को मौजूदा पांच लाख रुपये से बढ़ाने पर सक्रियता से विचार कर रही है। फिलहाल डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की डिपॉजिट इंश्योरेंस स्कीम के तहत 5,00,000 रुपये तक की जमा रकम को कवर दी जाती है। महाराष्ट्र के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का कथित घोटाला सामने आने के कुछ दिन बाद नागराजू ने कहा कि इस तरह के प्रस्ताव पर काम जारी है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "मुद्दा बीमा सीमा बढ़ाने का है... इसपर सक्रियता से विचार किया जा रहा है। जैसे ही सरकार मंजूरी देगी, हम इसकी अधिसूचना जारी कर देंगे।" हालांकि, नागराजू ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के संकट पर कुछ भी टिप्प्णी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देख रहा है।

जमा बीमा दावा तब शुरू होता है जब कोई कर्जदाता डूब जाता है। पिछले कुछ वर्षों में डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) ऐसे दावों का भुगतान करता रहा है। यह निकाय अपने द्वारा प्रदान किए जाने वाले कवर के लिए बैंकों से प्रीमियम एकत्र करता है। फिर अधिकतर दावे सहकारी कर्जदाताओं के मामले में किए गए हैं।


पीएमसी बैंक घोटाले के बाद डीआईसीजीसी बीमा सीमा 2020 में एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई थी। पीटीआई के मुताबिक, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र आरबीआई की निगरानी में अच्छी तरह चल रहे हैं। उन्होंने क्षेत्र की समग्र स्थिति को मजबूत करार दिया।

उन्होंने कहा कि किसी एक बैंक में संकट आने से किसी को भी पूरे क्षेत्र पर संदेह नहीं करना चाहिए। दोषी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करना नियामक का काम है। खबरों के अनुसार, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 1.3 लाख जमाकर्ताओं में से 90 प्रतिशत की पूरी रकम डीआईसीजीसी के अंतर्गत आएगी।

बैंक में घोटाले का पता भौतिक जांच में चला, जिसमें सामने आया कि बही-खाते में दर्शाई गई 122 करोड़ रुपये की नकदी गायब है। जांच में पता चला कि बैंक के महाप्रबंधक-वित्त हितेश मेहता ने कथित तौर पर गबन की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा एक स्थानीय बिल्डर को दे दिया है।

RBI के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 में DICGC ने 1,432 करोड़ रुपये के दावों का निपटान किया। इसमें पूरी रकम सहकारी बैंकों के लिए थी। DICGC के पास रजिस्टर्ड बैंकों की संख्या 31 मार्च, 2024 तक 1,997 थी। इनमें 140 कमर्शियल बैंक और 1,857 सहकारी बैंक शामिल हैं।

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मौजूदा 5,00,000 रुपये की लिमिट करीब 98 फीसदी जमा खातों को कवर करती है। कमर्शियल बैंकों के मामले में महज 41.9 फीसदी जमा रकम ही बीमा कवर के दायरे में है। जबकि सहकारी बैंकों के मामले में यह आंकड़ा 63.3 प्रतिशत तक है।

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