भारी भरकम और बेमेल डिमांड नोटिस पर सरकार ने जांच एजेंसियों और अधिकारियों को सावधान किया है। रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने कहा कि DRI समेत सभी जांच एजेंसियों को ऐसे किसी डिमांड नोटिस भेजने से पहले यह देखने की कोशिश करनी चाहिए कि इरादा टैक्स चोरी का है या यह सिर्फ टेक्निकल गलती है। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ रेवेन्यू का नहीं बल्कि इकोनॉमी के फायदे को भी ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कह दिया कि सोने के अंडे के चक्कर में सोने की मुर्गी को हलाल नहीं कर देना चाहिए।
इंटरेस्ट ऑफ रेवेन्यू से बड़ा इंटरेस्ट ऑफ इकोनॉमी
संजय मल्होत्रा ने आगे कहा "DRI और सभी जांच एजेंसियों को डिमांड नोटिस भेजने से पहले ये देखना चाहिए कि इरादा टैक्स चोरी का है या सिर्फ टेक्निकल गलती है। भारी भरकमनौर असंगत टैक्स डिमांड नोटिस भेजने से नए सिर्फ लीगल विवाद बढ़ता है बल्कि कारोबारी और पूरे इंडस्ट्री को नुकसान होता है। हम सिर्फ यहां सिर्फ रेवेन्यू कलेक्शन के लिए नहीं है बल्कि पूरी इकोनॉमी के लिए काम कर रहे हैं। इकोनॉमी के फायदे के लिए काम करें हमें कुछ रेवेन्यू के लिए सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को हलाल नहीं करना है। इंटरेस्ट ऑफ रेवेन्यू से बड़ा इंटरेस्ट ऑफ इकोनॉमी है। हमें इसका ध्यान रखना चाहिए"।
कब और क्यों जारी होती है नोटिस
बताते चलें कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 142 (1) के तहत ऐसी नोटिस तब जारी किया जाता है जब टैक्सपेयर्स ने टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया हो। किसी बैंक इंटरेस्ट, किसी प्रॉपर्टी के बेचने पर मिले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन/लॉस से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए भी नोटिस जारी किया जाता है। यह केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा हाल ही में जारी गाइडलाइंस का हिस्सा है। इसमें यह पता लगाने के लिए जांच की जाती है कि क्या टैक्सपेयर्स ने इनकम टैक्स रिटर्न में सही ढंग से अपने इनकम की घोषणा की है या नहीं,। इसके अलावा बकाया टैक्स का भुगतान किया है या नहीं।