निवेशकों को जल्द इनवेस्टमेंट का नया विकल्प मिलने जा रहा है। वे 50 साल की अवधि वाली गवर्नमेंट सिक्योरिटी में इनवेस्ट कर सकेंगे। RBI ने इस नई सिक्योरिटी का ऐलान किया है। अब तक गवर्नमेंट इंडिया का सबसे ज्यादा अवधि की सिक्योरिटी 40 साल की है। पहली बार सरकार 50 साल मैच्योरिटी वाली सिक्योरिटी जारी करेगी। 30 अक्टूबर को शुरू होने वाले हफ्ते में यह सिक्योरिटी आएगी। सरकार 10,000 करोड़ रुपये की यह सिक्योरिटी जारी करेगी। इसकी यील्ड का ऐलान बाद में होगा। 50 साल की सिक्योरिटी की दो नीलामी इस फाइनेंशियल की दूसरी छमाही में होगी। आम तौर पर संस्थागत निवेशक लंबी अवधि के इंस्टीट्यूशनल बॉन्ड में इनवेस्ट करते हैं। इनमें EPFO, इंश्योरेंस कंपनियां, पेंशन फंड्स और चैरिटेबल ट्रस्ट्स शामिल होते हैं।
50 साल की सिक्योरिटी में कौन करेगा निवेश?
संस्थागत निवेशकों के बीच लंबी अवधि की सिक्योरिटी की मांग होती है। इसकी वजह यह है कि नियम के तहत उन्हें अपने फंड का एक निश्चित हिस्सा लंबी अवधि की सिक्योरिटी में इनवेस्ट करना जरूरी होता है। संस्थागत निवेशकों को इनवेस्टर्स या क्लाइंट्स की तरफ से लगातार निवेश आता है। उन्हें इस पैसे का निवेश निर्धारित माध्यमों में करना होता है। कुछ ऐसे संस्थागत निवेशक हैं, जिनकी लायबिलिटी लॉन्ग टर्म की होती है। इसलिए वे लॉन्ग टर्म में मैच्योर होने वाली सिक्योरिटी में इनवेस्ट करते हैं। पेंशन फंड इसका उदाहरण है।
लंबी अवधि की सिक्योरिटी सरकार के लिए फायदेमंद
लॉन्ग टर्म सिक्योरिटी सरकार के लिए भी फायदेमंद होती है, क्योंकि इसके जरिए उसे लंबे समय के लिए पैसा मिलता है। साथ ही उसे बार-बार इश्यू पेश करने की कवायद की भी कम जरूरत पड़ती है। इससे कॉस्ट भी बचती है। Synergee Capital Services के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम दलाल ने कहा कि लंबी अवधि की सिक्योरिटी का जारी होना और इनमें निवेशकों की दिलचस्पी देखकर लगता है कि इंडिया की इकोनॉमी में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ रही है। ऐसे वक्त जब सरकार के बॉन्ड्स ग्लोबल इंडेक्स का हिस्सा बनने जा रहे हैं, लंबी अवधि की सिक्योरिटी का जारी होना पॉजिटिव है।
सरकार की सिक्योरिटी ग्लोबल बॉन्ड का हिस्सा बनेगी
जेपीमॉर्गन ने 22 सितंबर को ऐलान किया कि सरकारी बॉन्ड्स उसके ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स के हिस्सा होंगे। यह फैसला अगले साल जून से लागू होगा। माना जा रहा है कि इससे सरकार के बॉन्ड्स में बड़ा निवेश होगा। इससे सरकारी बॉन्ड्स की मांग बढ़ेगी। चूंकि सरकार की सिक्योरिटी में निवेश करने में किसी तरह का रिस्क नहीं होता है, जिससे कंजरवेटिव सोच वाले इनवेस्टर्स इनमें पैसे लगाना पसंद करते हैं। हालांक, 50 साल की सिक्योरिटी की यील्ड का ऐलान बाद में होगा, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर हम इंश्योरेंस कपनियों जैसे संस्थागत निवेशकों को हटा दें तो इस सिक्योरिटी की मांग सीमित रहेगी।
यील्ड का ऐलान सरकार बाद में करेगी
GEPL Capital के डेट मार्केट के हेड दीपक पंजवानी ने कहा कि बैंक और दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस की ज्यादा दिलचस्पी 50 साल की सिक्योरिटी में होने की कम ही उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि अभी 30 साल और 40 साल की सिक्योरिटी की यील्ड के बीच ज्यादा अंतर नहीं है। इंटरेस्ट साइकिल भी पीक पर पहुंच गया है। आने वाले समय में इंटरेस्ट रेट में कमी देखने को मिल सकती है। अगर 30 साल और 50 साल की सिक्योरिटी की यील्ड एक जैसी होगी तो कोई लंबी अवधि की सिक्योरिटी में क्यों निवेश करेगा।