Gratuity Rules 2025: अब कैसे और कितनी मिलेगी ग्रेच्युटी, कितना लगेगा टैक्स? समझिए पूरा कैलकुलेशन

Gratuity Rules 2025: नए श्रम कानून के ग्रेच्युटी नियमों से फिक्स्ड-टर्म, सैलरीड और गिग वर्कर्स सभी को बड़ा फायदा मिलेगा। अब ग्रेच्युटी जल्दी मिलेगी, टैक्स छूट बढ़ी है और भुगतान भी समय पर होगा। जानिए कैसे निकलेगी ग्रेच्युटी, कौन-से नियम आपकी जेब पर असर डालेंगे। साथ ही, 1 साल और 5 साल की सर्विस पर कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी।

अपडेटेड Nov 24, 2025 पर 3:34 PM
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Gratuity Rules 2025

Gratuity Rules 2025: अगर आपने कभी नौकरी बदली है या रिटायरमेंट की तैयारी की है, तो ग्रेच्युटी की अहमियत आप जरूर समझते होंगे। यह शुरुआत में मामूली लग सकती है, लेकिन जब आखिर में यह रकम हाथ में आती है, तो यह एक मजबूत आर्थिक सहारा बन जाती है। 2025 में भारत के ग्रेच्युटी नियम बदल गए हैं, और इन बदलावों से लाखों कर्मचारियों को बड़ा लाभ मिलने वाला है।

21 नवंबर 2025 से लेबर कोड्स लागू हुए। और इन्हीं के तहत ग्रेच्युटी अब पहले से ज्यादा साफ, आसान और तेज तरीके से मिलने वाली सुविधा बन गई है। चाहे आप सैलरी पर हों, गिग वर्कर हों या फिक्स्ड-टर्म कॉन्ट्रैक्ट पर- ये नियम आपकी जेब पर सीधा असर डाल सकते हैं।

ग्रेच्युटी क्या है?


ग्रेच्युटी को ऐसे समझें जैसे आपके लंबे काम और वफादारी के लिए कंपनी की तरफ से मिलने वाला 'वित्तीय शुक्रिया'। यह एकमुश्त भुगतान होता है, जो आपके रिटायर होने, इस्तीफा देने या सेवा अवधि पूरी करने पर मिलता है।

नए लेबर कोड्स के साथ ग्रेच्युटी अब Social Security Code के तहत आती है। इससे पूरी प्रक्रिया सीधी हो गई है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि नौकरी बदलने या रिटायर होने के समय आपको एक आर्थिक सुरक्षा मिले।

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सबसे बड़ा बदलाव

पहले ग्रेच्युटी पाने के लिए कम से कम 5 साल की लगातार सेवा जरूरी थी। 2025 के नियमों ने यही हिस्सा पूरी तरह बदल दिया है। फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों के लिए अब सिर्फ 1 साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी पाने का अधिकार बन जाता है। इसका कुछ वर्कर्स को फायदा सबसे ज्यादा होगा।

  • कॉन्ट्रैक्ट और गिग वर्कर्स को
  • स्टार्टअप कर्मचारियों को
  • IT और रिटेल सेक्टर के फिक्स्ड-टर्म स्टाफ को

यह बदलाव उन लोगों के लिए राहत है जो स्थायी कर्मचारियों जैसा ही काम करते थे, लेकिन पहले ग्रेच्युटी से बाहर रह जाते थे।

ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट होती है?

ग्रेच्युटी कैलकुलेशन का फॉर्मूला पहले जैसा ही है। ग्रेच्युटी ऐसे निकाली जाती है: (बेसिक + DA) × (15/26) × कुल सेवा वर्ष। यहां 15/26 का मतलब हर साल के बदले 15 दिन की सैलरी है, क्योंकि एक महीना 26 वर्किंग-डे माना जाता है।

इस कैलकुलेशन में कुछ बातें कर्मचारियों के पक्ष में जाती हैं। जैसे कि अगर आपने एक साल में छह महीने से ज्यादा काम किया है, तो उसे पूरा साल माना जाएगा। वहीं, छह महीने से कम काम करने पर वह साल नहीं गिना जाएगा। कम अवधि की नौकरी में भी आपको प्रो-राटा ग्रेच्युटी मिलती है, यानी अगर आप अपनी योजना से थोड़ा पहले नौकरी छोड़ भी दें, तो भी आप लाभ से वंचित नहीं होते।

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₹25000 की सैलरी पर ग्रेच्युटी

अगर आपकी बेसिक सैलरी ₹25,000 है, तो ग्रेच्युटी समझने का फॉर्मूला बहुत आसान है: (बेसिक + DA) × (15/26)। इसका मतलब है कि कंपनी हर पूरे साल की नौकरी के बदले आपको 15 दिनों की सैलरी देती है, और महीने के 26 वर्किंग-डे माने जाते हैं। इसी फॉर्मूले से एक साल की ग्रेच्युटी करीब ₹14,423 आती है

अगर 5 साल की ग्रेच्युटी की बात करें, तो इसे निकालना आसान है। बेसिक ₹25,000 पर 1 साल की ग्रेच्युटी लगभग ₹14,423 आती है। 5 साल के लिए बस इसे 5 से गुणा करना होगा। इस हिसाब से ग्रेच्युटी की रकम लगभग ₹72,115 होगी। यही तरीका हर 7, 10 या 12 की सर्विस अवधि पर लागू होता है।

ग्रेच्युटी कब मिलती है?

  • आप ग्रेच्युटी उन हालात में क्लेम कर सकते हैं जब आप रिटायर होते हैं या सुपरएन्यूएशन पर जाते हैं यानी नियमित सेवा पूरी होने पर कंपनी अंतिम सेटलमेंट के साथ इसे देती है।
  • अगर आपने ग्रेच्युटी के लिए जरूरी सेवा अवधि पूरी कर ली है, तो नौकरी छोड़ने यानी इस्तीफा देने पर भी आप इस रकम के हकदार होते हैं।
  • कंपनी अगर आपकी नौकरी समाप्त करती है, तो भी आपको ग्रेच्युटी मिलती है। सिवाय उस स्थिति के जब आपको दुर्व्यवहार या गंभीर अनुशासनहीनता की वजह से निकाला गया हो।
  • सेवा के दौरान दिव्यांगता आने पर भी कर्मचारी को ग्रेच्युटी पाने का अधिकार मिलता है, ताकि अचानक आई स्वास्थ्य समस्या में आर्थिक सुरक्षा बनी रहे।
  • कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में ग्रेच्युटी सीधे उसके नामित व्यक्ति (nominee) को दी जाती है, जिससे परिवार को तत्काल आर्थिक सहारा मिलता है।
  • 2025 के नए नियम क्लेम प्रक्रिया और समय-सीमा को पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट बनाते हैं, जिससे अनावश्यक विवाद और लंबी देरी लगभग खत्म हो जाती है।

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भुगतान की नई समय-सीमा और टैक्स लाभ

भुगतान से जुड़ा नया नियम कर्मचारियों के लिए काफी राहत देने वाला है, क्योंकि अब नियोक्ता को ग्रेच्युटी की रकम 30 दिनों के भीतर देना अनिवार्य कर दिया गया है। पहले कई जगह महीनों तक देरी होती थी, लेकिन अब देर होने पर कंपनी को 10% सालाना ब्याज देना पड़ेगा। यानी जितनी देरी, उतना अतिरिक्त पैसा। इससे कर्मचारियों की पोजिशन मजबूत हो जाती है।

टैक्स लाभ भी पहले से बेहतर हैं। प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए अब ₹20 लाख तक की ग्रेच्युटी पूरी तरह टैक्स-फ्री है, जबकि केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए यह सीमा बढ़कर ₹25 लाख हो गई है। इसका सीधा मतलब है कि जितनी ज्यादा ग्रेच्युटी बनेगी, वह उतनी ही बड़ी राशि के रूप में आपके हाथ में आएगी, बिना टैक्स में कटे।

किन कंपनियों पर लागू होंगे ये नियम?

2025 के नए ग्रेच्युटी नियम उन सभी कंपनियों पर लागू होते हैं, जहां कम से कम 10 कर्मचारी काम करते हैं। इसमें फैक्ट्रियां, दुकानें, छोटे बिज़नेस, स्टार्टअप्स और सर्विस सेक्टर की कंपनियां सब शामिल हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि अब फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी वही सुविधाएं मिलेंगी जो स्थायी कर्मचारियों को मिलती हैं। जैसे कि earned leave, मेडिकल सुविधाएं और सोशल सिक्योरिटी कवरेज। यानी अब कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वालों को भी बराबर के अधिकार मिलेंगे।

ये बदलाव अभी क्यों जरूरी थे?

आज नौकरी की दुनिया पहले से बिल्कुल अलग हो चुकी है। लोग तेजी से जॉब बदल रहे हैं, कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स आम हो गई हैं, और गिग वर्क बहुत बड़ा हिस्सा बन चुका है। पुरानी ग्रेच्युटी व्यवस्था इस नई नौकरी की संस्कृति के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही थी, जिसकी वजह से कई कर्मचारी लाभ से बाहर रह जाते थे।

2025 के नए नियम इस कमी को पूरा करते हैं। नौकरी बदलने वालों की सुरक्षा बढ़ाते हैं, कॉन्ट्रैक्ट सेक्टर को मजबूती देते हैं, और ग्रेच्युटी के भुगतान को पहले से तेज और ज्यादा पारदर्शी बनाते हैं। इसलिए अपने HR से यह जरूर पता करें कि ये नियम आपकी नौकरी और सेवा अवधि पर कैसे लागू होते हैं, क्योंकि सही जानकारी समय आने पर बड़ा फायदा दे सकती है।

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