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GST रजिस्टर्ड बिजनेसेज को 1 अप्रैल से पहले सभी ई-इनवॉयसेज अपलोड करना होगा

अभी ऐसे बिजनेसेज जिनका सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन्हें B2B ट्रांजेक्शन के लिए ई-इनवॉयसिंग का इस्तेमाल करना जरूरी है। हालांकि, 1 अप्रैल, 2025 से जीएसटी रजिस्टर्ड ऐसे बिजनेसेज जिनका सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है उन्हें नए नियम का पालन करना होगा

Abhishek Anejaअपडेटेड Mar 31, 2025 पर 11:30 AM
GST रजिस्टर्ड बिजनेसेज को 1 अप्रैल से पहले सभी ई-इनवॉयसेज अपलोड करना होगा
ई-इनवॉयसिंग नियमों का विस्तार जीएसटी कंप्लायंस बढ़ाने और टैक्स ट्रांसपेरेंसी की दिशा में बड़ा कदम है।

ई-इनवॉयसिंग या इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयसिंग जीएसटी के तहत एक सिस्टम है। इसके तहत सभी बिजनेसेज-टू-बिजनेसेज (बी2बी) इनवॉयसेज को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अपलोड किया जाता है और इनवॉयस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (आईआरपी) के जरिए ऑथेंटिकेट किया जाता है। आईआरपी हर इनवॉयस को एक यूनिक इनवॉयस रजिस्ट्रेशन नंबर (आईआरएन) देता है, जिससे फ्रॉड का रिस्क कम हो जाता है। इस सिस्टम को टैक्स कंप्लायंस व्यस्थित बनाने, पारदर्शिता बढ़ाने और टैक्स चोरी रोकने के लिए शुरू किया गया था। इसमें इनवॉयसेज की रियल-टाइम रिपोर्टिंग होती है।

अभी ऐसे बिजनेसेज जिनका सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन्हें B2B ट्रांजेक्शन के लिए ई-इनवॉयसिंग का इस्तेमाल करना जरूरी है। हालांकि, 1 अप्रैल, 2025 से जीएसटी रजिस्टर्ड (GST Registered) ऐसे बिजनेसेज जिनका सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है उन्हें नए नियम का पालन करना होगा। उन्हें जारी होने के 30 दिन के अंदर IRP पर अपने ई-इनवॉयसेज अपलोड करने होंगे। यह कदम सरकार की उस कोशिश का हिस्सा है जिसके तहत वह समय पर रिपोर्टिंग, गड़बड़ियों में कमी और बगैर किसी दिक्कत इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम सुनिश्चित करना चाहती है।

किस पर पड़ेगा असर?

पहले यह नियम सिर्फ ऐसे बिजनेसेज पर अप्लाई होता था, जिनका सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इस लिमिट में बदलाव होने से कई बिजनेसेज इस नियम के दायरे में आ गए हैं। अब उन्हें स्ट्रक्चर्ड और समय पर इनवॉयसिंग प्रोसेस पूरा करना होगा। इस नियम के तहत सभी इनवॉयसेज, क्रेडिट नोट्स और डेबिट नोट्स निर्धारित 30 दिन के पीरियड में जरूर अपलोड हो जाने चाहिए।

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